पीएम मोदी भारत के एक ऐसे प्रधानमंत्री है जिनका भारत में ही नही बल्कि विदेश में भी काफी नाम है। आज वे अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे पहाड़ों में भटकने वाला युवा आज एक प्रधानमंत्री बन गया।


आज हम आपको उन्‍हीं गुप्‍त और कम चर्चित बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।

राजा बनेगा या संत

जब मोदी जी 12 साल के थे तो उनकी मां ने वाडनगर के एक ज्‍योतिषी को उनकी कुंडली दिखाई जिसे देख कर उस ज्योतिष ने कहा कि तुमारा बेटा या तो राजा बनेगा या फिर शंकराचार्य जैसा महान संत।

कैसे बने संत

आरंभिक जीवन में मोदी जी संत बन गए थे। बचपन में जब कोई साधु दिखता तो वो उनके पीछे-पीछे चलने लगते थे। ऐसे में मां को डर था कि वे कोई साधु संत ना बन जाए, इसलिए उन्होंने बचपन में ही उनकी शादी जशोदाबेन से करवा दी थी। तब बाल विवाह के दौर में शादी के बाद लड़की को गौना रखने का प्रचलन था।

विवाह के कुछ साल बाद मां हीराबेन ने नरेंद्र से कहा कि अब तुम्‍हारे गौने की बात चल रही है। इस बात को सुनकर मोदी जी को गुस्‍सा आ गया था तब उन्होंने कहा कि वे इन सब चीजों में नही फंसना चाहते हैं और हिमालय में जा कर जीवन की सच्चाई का पता लगाना चाहते हैं। इसके बावजूद उनके पूरे परिवार ने उन पर गौने का दबाव बनाया। इसी के चलते वो रात के अंधेरे में घर छोड़कर चले गए थे।

2 साल तक मोदी जी हिमालय की गुफाओं में साधुओं की तरह घूमते रहे। तब एक साधु ने उनसे वहां पर भटकने का कारण पूछा तो मोदी ने कहा कि वे ईश्वर का पता लगाने और उन्हे जानने के लिए यहां आए हैं।

तब साधु महाराज ने मोदी जी से कहा कि तुम्‍हारी उम्र हिमालय की कंदराओं में भटकने की नहीं है। समाज की सेवा करके भी तुम्‍हें ईश्‍वर मिल सकते हैं। इसके बाद मोदी जी घर तो लौट आए लेकिन वैवाहिक जीवन से मुंह मोड़ चुके थे। 17 साल की उम्र में ही उन्‍होंने सन्‍यास लेकर 1967 में बेलूर मठ भी गए थे। वहां पर उनकी मुलाकात स्‍वामी माधवानंद से हुई थी।

इसके बाद मोदी जी ने बीजेपी पार्टी में कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनैतिक जीवन का आरंभ किया और यहां तक पहुंचे।

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