फ्री के चुनावी वादों को नियंत्रित करने का नहीं है अधिकार चुनाव आयोग के पास : कांग्रेस
कांग्रेस के मुताबिक मुफ्त उपहार का मामला हमारे जीवंत लोकतंत्र की प्रणाली के अंर्तद्वंद का हिस्सा है और यह मतदाताओं के बुद्धि, विवेक और विश्लेषण पर निर्भर करता है। मतदाताओं के विवेक और बुद्धिमता की तीव्रता को कभी कम नहीं आंकना चाहिए। कांग्रेस ने मुफ्त चुनावी वादों को नियंत्रित करने की चुनाव आयोग की पहल को लाल झंडी दिखा दी है। इस पहल पर सवाल उठाते हुए पार्टी ने कहा है कि चुनाव आयोग के पास इसका अधिकार ही नहीं है। चुनाव आयोग किसी भी पार्टी को चुनावो के दौरान वादे करने से नहीं रोक सकती।
चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता में संशोधन का दिया था प्रस्ताव
आयोग को अपने दायरे से बाहर नहीं जाने देने की दो टूक राय के साथ ही कांग्रेस ने उसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की अपनी जिम्मेदारी निभाने पर फोकस करने की नसीहत भी दी है। चुनाव आयोग ने मुफ्त चुनावी वादों को नियंत्रित करने की पहल के तहत चार अक्टूबर को आदर्श आचार संहिता में संशोधन का प्रस्ताव दिया था। ताकि सरकारी खजाने पर बोझ की कीमत पर रेवड़िया देने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके। इस प्रस्ताव को लेकर राजनीतिक दलों की काफी तीखी प्रतिक्रिया रही है।
आयोग की पहल एक निरर्थक अभ्यास
आयोग के संशोधन प्रस्ताव में मुफ्त उपहार की परिभाषा को केवल उन्हीं तक सीमित करने की बात है जिनके पूरे होने की संभावना है। हर पार्टी अपना दावा करेगी कि उसके वादे लागू करने योग्य हैं और ऐसे में प्रस्तावित सीमा कैसे तय की जा सकती है। पार्टी के अनुसार इससे साफ लगता है कि आयोग की यह पहल एक निरर्थक अभ्यास है।
स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराए आयोग
जयराम ने कहा कि चुनाव आयोग ने अतीत में अपनी शक्तियों के प्रयोग में बहुत समझदारी और संयम का प्रदर्शन किया है। ऐसे में आयोग को पहले मौजूदा कानूनों को सही तरीके से लागू कर स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
आदर्श आचार संहिता के तहत की गई शिकायतों पर चुनाव आयोग के रुख पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने उसे 2019 के आम चुनाव में सैन्य बलों के चुनाव प्रचार में इस्तेमाल को लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई शिकायतों का मुददा उठाया है। साथ ही भारतीय रेलवे का चुनावी इस्तेमाल, आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़ी उसकी लिखित शिकायतों को नजरअंदाज कर इनमें पीएम को क्लिन चिट देने जैसे वाकयों का जिक्र कर चुनाव आयोग को इन क्षेत्रों में सुधार की सलाह दी है।