इंटरनेट डेस्क। अलवर मॉब लिंचिंग में कुछ नए तथ्य सामने आने के बाद यह मामला तूल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है। जानकारी के लिए बता दें गो तस्करी संदेह में हुई अकबर उर्फ रकबर की मौत पर संदेह गहराता जा रहा है।

रामगढ़ थाने के एएसआई मोहन सिंह के मुताबिक, रकबर को अस्पताल ले जाने से पहले थाने लेकर आए, इस दौरान लिखा-पढ़त के चलते उसे अस्पताल ले जाने में काफी देरी हुई। रकबर की देखने वाले रामगढ़ सरकारी अस्पताल के डॉक्टर हसल अली का सीधे कहना है कि यदि पुलिस बिना देरी किए उसे सीधे अस्पताल ले आती तो उसकी जान बच सकती थी।

डॉक्टर हसल अली का कहना है कि मीडिया में यह खबरें आ रही है कि पुलिस रकबर को रात एक बजे अस्पताल ले आई थी, जबकि रामगढ़ पुलिस उसे सुबह 4 बजे सरकारी अस्पताल लेकर आई थी, तब तक उसकी जान चुकी थी।

रकबर का पोस्टर्माटम अलवर के राजीव गांधी मेमोरियल अस्पताल में कराया गया था। इस पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, रकबर की मौत ज्यादा खून बहने के चलती हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि रकबर के हाथ और पैर की हड्डी टूट चुकी थी, इतना ही नहीं उसके शरीर पर 12 जगह चोट के निशान मिले थे।

अकबर खान उर्फ रकबर को काफी अंदरूनी चोटें लगी थीं। मतलब साफ है, यदि रामगढ़ पुलिस रकबर को समय पर अस्पताल पहुंचा देती तो उसकी जिंदगी बच सकती थी। अलवर मॉब लिंचिंग में यह नए सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पुलिस रकबर तो थाने में 3 घंटे तक क्यों लेकर बैठी रही। इतना ही नहीं क्या पुलिस ने भी रकबर के साथ मारपीट की थी? इन सवालों पर पुलिस कुछ भी जवाब देने से बच रही है।

ललावंडी गांव की मायादेवी का कहना है कि रात के वक्त वह चिल्लाने की आवाज सुनकर बाहर निकली तो देखा कि पुलिसवाले एक व्यक्ति को जीप में पटकर किसी को पीट रहे थे। जब इस महिला ने इस बारे में पूछना शुरू किया तो उसी गांव के नवल किशोर शर्मा ने कहा चाची तुम घर में जाओ, यह एक गौ तस्कर है। इसके बाद मायोदवी अपने घर में आकर सो गई। मायादेवी को अब पता चला है कि पुलिसवाले जिसे पीट रहे थे, वह मर चुका है।

गौरतलब है कि ललावंडी गांव के नवल किशोर शर्मा ने ही पुलिस को यह सूचना दी थी। नवल किशोर पूरी सुबह तक घटनास्थल से लेकर पुलिसवालों के साथ सुबह तक रहे। नवल किशोर ने यह बात स्वीकारी है कि पुलिसवालों ने रकबर को बहुत मारा था, जिसके चलते उसकी मौत हो गई।

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