पार्टी के प्रदेश स्तर के बड़े नेता भी वर्षों बाद भी आलाकमान के इच्छानुसार ही चलने की मानसिकता लेकर आगे बढ़ रहे हैं। बिहार व हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की तो यही मन:स्थिति देखने को मिल रही है।

हरियाणा कांग्रेस में अभी नहीं होंगे संगठनात्मक चुनाव
इसका सबसे अच्छा उदाहरण हरियाणा में देखने को मिल सकता है, जहां कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव नहीं होंगे। यहां मनोयन की प्राचीन व्यवस्था ही लागू रहेगी। कुछ माह पहले मनोनीत हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने आदमपुर उपचुनाव के प्रचार के दौरान स्पष्ट कर दिया है कि अभी पार्टी नेताओं का उपचुनाव जीतने पर फोकस है। इसके बाद ही संगठन विस्तार काम शुरू होगा।

कई प्रदेशों में भी बदले जाएंगे कांग्रेस अध्यक्ष
राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव होने के बाद अब कई प्रदेशों में कांग्रेस अध्यक्ष भी बदले जाएंगे। बिहार में प्रदेशाध्यक्ष का फैसला आलाकमान करे या इनका भी चयन चुनाव प्रक्रिया से हो, इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है। बिहार कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मदन मोहन झा कहते हैं कि पार्टी के प्रदेश डेलीगेट्स ने आलाकमान को प्रदेशाध्यक्ष के मनोनयन के लिए अधिकृत कर दिया है। फिलहाल चुनाव की कोई बात नहीं है। अब तक तो यही व्यवस्था रही है। कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी कहते हैं कि प्रदेश स्तर पर चुनाव कराए गए तो बहुत लंबा समय लगेगा। कांग्रेस में बूथ से लेकर मुख्यालय तक में संगठन और पदधारी होते हैं। बारी-बारी से सबके चुनाव कराए गए तो वर्षों लग जाएंगे।

खड़गे से चर्चा के बाद तैयार होगा हरियाणा कांग्रेस का संगठन
हरियाणा में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कब हुए थे, यह किसी को याद नहीं है। कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि जिस तरह राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्वाचन हुआ है, उसी तरह प्रदेशों में भी ब्लाक अध्यक्ष और कार्यकारिणी, जिला अध्यक्ष और कार्यकारिणी का चुनाव होना चाहिए। वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की पीड़ा है कि हरियाणा में सदैव हाईकमान ही प्रदेशाध्यक्ष तय करता रहा है। इस बार भी यदि चुनाव नहीं होते हैं तो केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराने से कोई लाभ नहीं होने वाला।

हालांकि, संभावना जताई जा रही है कि नवनिर्वाचित पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से चर्चा के बाद हरियाणा कांग्रेस का संगठन तैयार किया जाएगा। पिछले कुछ वर्षों की ही बात करें तो पहले डाक्टर अशोक तंवर का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मनोयन किया गया। वह अपने कार्यकाल में जिला व ब्लाक स्तर पर चुनाव कराना तो दूर मनोनीत इकाइयां भी नहीं बना सके। यही स्थिति कुमारी सैलजा के कार्यकाल में रहीं। वह भी मनोनीत अध्यक्ष थीं। अब उदयभान तीसरे प्रदेशाध्यक्ष हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कृपापात्र हैं।

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