देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त को निधन हो गया। उन्होंने 16 अगस्त को 5 बजकर 5 मिनट पर AIIMS अस्पताल में अंतिम सांस ली। लेकिन उनसे जुड़े किस्से और उनके राजनैतिक जीवन को हमेशा याद किया जायेगा। उनके राजनैतिक जीवन से जुड़ा एक किस्सा बताने जा रहे है जिसको जानकर आप हैरान रह जायेंगे।

ये किस्सा साल 1999 का है जब केंद्र में एनडीए की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार थी। ये वो सरकार थी, जिसने भारतीय राजनीति में कई दलों को जोड़कर गठबंधन की सरकार बनाने की नजीर पेश की। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सभी सहयोगी दलों के लिए सम्माननीय तो थे ही, सामान्यत: कोई भी नेता उनका कहा टालता भी नहीं था।

लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें अपने घनिष्ठ सहयोगी दल बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने ऐसी राजनीति खेली जिसकी अटल जी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। किस्सा कुछ यूं है कि सन् 1999 में अप्रैल का महीना था और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को सत्ता में 13 महीने बीत चुके थे। इसी दौरान गठबंधन की अहम सहयोगी जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। अलग-अलग दलों से जोड़-तोड़ कर बनी वाजपेयी सरकार अल्पमत में आ गई। अटल जी बहुमत साबित करे अन्यथा सरकार गिर जाएगी। ऐसे में उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री रह चुकी बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अटल के राजनीतिक प्रबंधकों को भरोसा दिलाया कि वह एनडीए का समर्थन करेंगी और सरकार नहीं गिरने देगी।

विश्वास मत पर वोटिंग वाले दिन मायावती अटलजी से मिलने गईं, पैर छुए और बसपा के छह सांसदों का समर्थन देने की बात कही, अटलजी आश्वस्त हो गए। लेकिन वोटिंग के समय अचानक स्थिति पलट गईं। बसपा ने एनडीए के खिलाफ वोट दिया और सरकार एक वोट से गिर गई। तब मायावती ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए प्रेस से कहा, मैंने जान-बूझकर भाजपा को मूर्ख बना दिया।

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