अमित शाह ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का पेश किया संकल्प, जानिए क्या है धारा 370
गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के लिए सोमवार को ऐतिहासिक बदलाव की पेशकश की। अमित शाह ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने की सिफारिश की। इस बदलाव को राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी दे दी गई है। लेकिन इसके बाद राज्य सभा में हंगामा शुरू हो गया। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। इसमें सिर्फ एक खंड रहेगा। इसके बाद जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। लद्दाख भी केंद्र शासित प्रदेश बनेगा।
संविधान को फाड़ने की कोशिश
राज्य सभा चेयरमैन वेंकैया नायडू ने पीडीपी के मिर फयाज और नजीर अहमद को सदन से बाहर जाने को कहा। इन्होने इस संविधान को फाड़ने की भी कोशिश की।
बहुत से सांसदों को ये फैसला मंजूर नहीं है और फैसले पर नाराजगी जताते हुए पीडीपी सांसदों ने अपने कपड़े फाड़ दिए। वहीं विरोधी दल के सांसद राज्यसभा में जमीन पर बैठ गए हैं। इसके बाद इस बैठक में मार्शल को बुलाने के आदेश दिए गए हैं।
7 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करेंगे। विरोधी दल के नेता इसका लगातार विरोध कर रहे हैं और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा लॉ जम्मू-कश्मीर में युद्ध जैसे हालात हैं, पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंद क्यों कर दिया गया है। अमित शाह ने कहा कि मैं जम्मू कश्मीर से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब देने को तैयार हूँ।
क्या है धारा 370
जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने 27 मई, 1949 को कुछ बदलाव सहित आर्टिकल 306ए (अब आर्टिकल 370) को स्वीकार कर लिया। उसके बाद धारा 370 17 अक्टूबर, 1949 को भारत के संविधान का हिस्सा बन गई थी।
धारा 370 के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर जम्मू कश्मीर का अपना अलग झंडा भी है। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है। यहाँ तक सुप्रीम कोर्स के सभी आदेशों की पालना जम्मू कश्मीर में नहीं होती है। संसद जम्मू-कश्मीर को लेकर सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती है।
इस लेख के अनुसार, रक्षा, विदेशी मामलों, वित्त और संचार को छोड़कर, संसद को अन्य सभी कानूनों को लागू करने के लिए राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता है। इस प्रकार राज्य के निवासी कानूनों के एक अलग समूह के तहत रहते हैं, जिनमें अन्य भारतीयों की तुलना में नागरिकता, संपत्ति के स्वामित्व और मौलिक अधिकारों से संबंधित हैं। इस प्रावधान के परिणामस्वरूप, अन्य राज्यों के भारतीय नागरिक जम्मू और कश्मीर में भूमि या संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं। अनुच्छेद 370 के तहत, केंद्र के पास राज्य में अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल घोषित करने की कोई शक्ति नहीं है। यह केवल युद्ध या बाहरी आक्रमण के मामले में राज्य में आपातकाल की घोषणा कर सकता है। इसलिए केंद्र सरकार आंतरिक गड़बड़ी या आसन्न खतरे के आधार पर आपातकाल की घोषणा नहीं कर सकती है जब तक कि यह अनुरोध पर या राज्य सरकार की सहमति से नहीं किया जाता है।