अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता अब न केवल व्यापार या भूमि बल्कि अंतरिक्ष में भी दिखाई दे रही है। चांद मिशन को लेकर देशों के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा पर अमेरिका का रक्षा विभाग नजर बनाए हुए है। देश की सेना को लगता है कि अमेरिका के चंद्रमा मिशन से जुड़े अधिकारियों की सुरक्षा में भी उसकी भूमिका है।

रक्षा विभाग इस बात से चिंतित है कि अगर चीन अमेरिका से पहले चंद्रमा पर पहुंच जाता है, और यदि ऐसा होता है, तो वे (चीन) अंतरिक्ष के बारे में नियम बनाएंगे। ऐसे में अमेरिका को डर है कि चीन के साथ युद्ध शुरू हो सकता है।

डिफेंस इनोवेशन यूनिट (DIU) में स्पेस पोर्टफोलियो के निदेशक ब्रिगेडियर स्टीवन का मानना ​​है कि नियम उदाहरण द्वारा बनाए गए हैं। देश अंतरिक्ष में कोई क्या करता है, भविष्य में अंतरराष्ट्रीय कानून का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा, "हम नहीं चाहते कि हमारे प्रतिद्वंद्वी वहां जाएं और इस तरह के नियम बनाएं।" ब्रिगेडियर स्टीवन का कहना है कि "GEO (जियोस्टेशनरी इक्वेटोरियल ऑर्बिट) और सीस्लूनर (चंद्रमा और पृथ्वी के बीच) स्पेस के लिए ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक क्षमता विकसित करने वाला पहला देश सिसालसर स्पेस और चंद्रमा के संसाधनों पर नियंत्रण हासिल करेगा"। एडब्ल्यू ओरिजिन्स में एडवांस्ड प्रोग्राम के उपाध्यक्ष ब्रेंट शेरवुड का मानना ​​है कि सिसलूनर अंतरिक्ष विकास सरकार और उद्योग के एक साथ आने से हो सकता है। हालांकि, वह कहते हैं कि उद्योग हमेशा सरकार से व्यापार की उम्मीद करेंगे।

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