महाभारत युद्ध की शुरुआत एक खेल से हुई थी। इस खेल में पांडव अपना राज्य, सम्पति और यहाँ तक की अपनी पत्नी द्रौपदी को भी हार गए थे। इस हार के बाद पांडवों को 12 साल के लिए वनवास और 1 साल का अज्ञातवास मिला था। इस खेल को खेल कर पांडव अंदर ही अंदर बेहद पछता रहे थे। जब पांडव वन जाने लगे तब विदुर ने जो धृतराष्ट्र से कहा वह आने वाले युद्ध के संकेत थे। इस समय पांडवों और द्रौपदी ने जो भी किया उसे देख कर विनाश के आसार नजर आ रहे थे।

इसलिए युधिष्ठिर ने मूंद रखी थीं अपनी आंखें

जब सभी पांडव द्रौपदी के साथ वन में जा रहे थे तो वे घृतराष्ट्र से आज्ञा लेने आए थे उस समय युधिष्ठिर ने अपनी आंखें मूंद ली थी। विदुर ने धृतराष्ट्र से कहा कि इस समय युधिष्ठिर इतने क्रोध में हैं कि यदि वे किसी को देख लेगा तो सामने वाला जल कर भस्म हो जाएगा। इसके बाद युधिष्ठिर ने अपनी आँखे मूँद ली थी।

भीम ने दिया ऐसा संकेत

विदुर ने धृतराष्‍ट्र को बताया कि भीम भी इस वक्त बड़े क्रोध में हैं। उन्होंने अपनी भुजाओं को इस तरह फैला रखा है मानों वो कह रहे हों कि मैं सभी कौरवों का नाश कर दूंगा।

अर्जुन के तेवर थे ऐसे

द्रौपदी के अपमान के बाद से ही अर्जुन क्रोध में थे। वे बड़े वेग के साथ आगे बढ़ रहे थे और उस से भयंकर धुल उठ रही थी। विदुर ने बताया कि अर्जुन धूल उड़ाते हुए चल रहे हैं जिस से ये संकेत दे रहे हैं कि मैं सबको धुल में मिला दूंगा।

नकुल सहदेव के तेवर भी कम नहीं थे

पांडवों में सबसे सुंदर नकुल और सबसे छोटे सहदेव ने अपने शरीर पर ढ़ेर सारी धुल मल ली थी मानों वे इस बात की ओर इशारा कर रहे हों कि वे युद्ध में सबको इस कदर धुल में मिलाएंगे कि कोई किसी को पहचान नहीं पाएगा।

द्रौपदी ने दिया था हस्तिनापुर को यह शाप

जुए में द्रौपदी को हार जाने के बाद जब दुश्शासन बालों से खींचकर द्रौपदी को सभा में ले जा रहा था तो द्रौपदी ने एक वचन लिया था कि वह अपने बालों को तब तक खुला रखेगी जब तक वो दुश्शासन के रक्त से अपने बाल नहीं धो लेती। वन जाते समय द्रौपदी ने सफेद वस्त्र धारण किया था। इन्होंने कहा कि 14 साल बाद जब लौटूंगी तब जिन लोगों ने मुझे अपमानित किया है उन सबकी पत्नियां अपने पतियों के शव पर रोएंगी इसलिए वे सफेद वस्त्रों में भी हस्तिनापुर में वापस लौटेंगी।

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