एग्जिट पोल ने ये साफ़ कर दिया है कि इस बार एनडीए की जीत के साथ बीजेपी एक बार फिर से सत्ता में आ सकती है। लेकिन ये परिणाम कितने सही है इसका फैसला असली चुनाव रिजल्ट आने के बाद ही पता चलेंगे। बहुत जगह पर बीजेपी की जीत बहुमत के साथ मानी गई है और बीजेपी पार्टी इस से बहुत खुश हैं।

लेकिन एक खास बात जो गौर करने योग्य है कि यदि एक बार फिर से मोदी सरकार आती है तो इस साल के अंत में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं वहां इन नतीजों का क्या असर पड़ सकता है।

अब इस साल के आखिर में झारखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2014 में जम्मू कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव हुए थे लेकिन वहां राष्ट्रपति शासन लागू है। फिर भी, अगर जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुए तो लोकसभा चुनाव में भाजपा को जितनी सीटें मिलती है उस से सज्जाद गनी लोन के साथ उसके रिश्ते और गहरे होंगे। इसलिए जम्मू क्षेत्र में भाजपा अधिकतम सीटों के साथ नई तरह की सरकार बनाने की कोशिश करेगी।

झारखंड की बात करें तो वहां के मुख्यमंत्री रघुबर दास की किस्मत भाजपा को मिलने वाले वोट्स से ही निर्धारित होगी। प्रदेश भाजपा के सूत्र बताते हैं, "अगर भाजपा पिछला प्रदर्शन दोहरा न भी पाए लेकिन बीजेपी का प्रदर्शन एवरेज भी रहे तो भी वे मुख्यमंत्री बने रहेंगे। यदि बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहता है तो किसी आदिवासी को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकती है।"

हरियाणा में भी यही स्थिति है। चुनाव जीतने के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने हरियाणा में गैर जाट मुख्यमंत्री का अपना एक पैंतरा खेला था। लेकिन यदि लोकसभा चुनावों के नतीजे पहले जैसे नहीं आते हैं तो यहां के समीकरण में बदलाव भी हो सकता है।

महाराष्ट्र में, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे लोकसभा चुनाव अभियान में लोगों को ये समझाने का प्रयास किया कि एक दूसरे की कड़ी आलोचना करने के बाद अब साढ़े चार साल वे एक साथ क्यों आए हैं। लेकिन यह भी तय है कि भाजपा और शिवसेना इस बार विधानसभा में मिलकर लडेंगे। लेकिन भाजपा और शिवसेना में से किसी का भी प्रदर्शन यदि अच्छा नहीं रहा तो इसका असर सीधे विधानसभा चुनाव पर देखने को मिलेगा।

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