वरूथिनी एकादशी 30 अप्रैल को, पुराणों में वर्णित है इसकी महत्ता
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हिंदू पंचांग के मुताबिक वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी वरूथिनी एकादशी के नाम से जानी जाती है। साल 2019 में यह एकादशी 30 अप्रैल, मंगलवार को आ रही है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार एक बार धर्मराज युधिष्ठिर बोले कि हे भगवन्! वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है, उसकी विधि क्या है तथा उसके करने से क्या फल प्राप्त होता है? आप विस्तारपूर्वक मुझसे बताएं, मैं आपको नमस्कार करता हूं।
इसके बाद श्रीकृष्ण ने कहा हे राजेश्वर! इस एकादशी का नाम वरूथिनी है। यह सौभाग्य देने वाली, सब पापों को नष्ट करने वाली तथा अंत में मोक्ष देने वाली है। इस व्रत को यदि कोई स्त्री करे तो उसको सौभाग्य मिलता है। इसी वरूथिनी एकादशी के प्रभाव से राजा मान्धाता को स्वर्ग मिला था।
वरूथिनी एकादशी का फल दस हजार वर्ष तक तप करने के बराबर होता है। कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय एक मन स्वर्णदान करने से जो फल प्राप्त होता है वही फल वरूथिनी एकादशी के व्रत करने से मिलता है। वरूथिनी एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य इस लोक में सुख भोगकर परलोक में स्वर्ग को प्राप्त होता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि हाथी का दान घोड़े के दान से श्रेष्ठ है। हाथी के दान से भूमि दान, भूमि के दान से तिलों का दान, तिलों के दान से स्वर्ण का दान तथा स्वर्ण के दान से अन्न का दान श्रेष्ठ है। अन्न दान के बराबर कोई दान नहीं है। अन्न दान से देवता, पितर और मनुष्य तीनों तृप्त हो जाते हैं। शास्त्रों में इसको कन्या दान के बराबर माना है। वरूथिनी एकादशी के व्रत से अन्न दान तथा कन्या दान दोनों के बराबर फल मिलता है।