यह सच है कि धर्म हमेशा लोगों को जोड़ने का काम करता है। हमारे देश में आज भी कई ऐसी जगहें हैं, जहां धर्म और कर्म का कोई बंधन नहीं है। जी हां, राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 250 किलोमीटर दूर चुरू में स्थित गोगाजी मंदिर अपने आप में बहुत मशहूर है। हिंदुओं के अतिरिक्त मुस्लिम लोगों में भी इस मंदिर के प्रति अटूट श्रद्धा है।

गुरु गोरक्षनाथ के शिष्य वीर गोगा जी को राजस्थान के 6 सिद्धों में से एक माना जाता है। राजस्थान राज्य में चुरू के दत्तखेड़ा में जन्में गोगाजी का मंदिर सर्वधर्म समभाव का जीता जागता उदाहरण है। कहते हैं कि गुरु गोरक्षनाथ के वरदान से चौहान वंश के राजपूत शासक जेवर सिंह की पत्नी बाछल के गर्भ से गोगा जी का जन्म हुआ।

गोगाजी मंदिर हिन्दू-मुस्लिम एकता का उदाहरण है। यहां दोनों संप्रदाय के लोग मत्था टेकने आते हैं और मन्नते मांगते हैं। लोक कथाओं के मुताबिक, गोगाजी को सांपों का देवता कहा जाता है। कायमखानी मुस्लिम समाज गोगा जी को जाहर पीर के नाम पुकारता है।

राजस्थान की लोक संस्कृति में यह पंक्ति बहुत लोकप्रिय है- गांव-गांव में खेजड़ी, गांव-गांव में गोगा। इससे आप राजस्थान के लोगों में गोगा जी के प्रति अपार श्रद्धा महसूस कर सकते हैं। इतिहासकारों के अनुसार, सतलज मार्ग पर महमूद गजनवी की सेना से लड़ते हुए गोगा जी शहीद हो गए थे। हनुमानगढ़ के नोहर में गोगाजी का समाधि स्थल है। यह उनके जन्म स्थान से 80 किलोमीटर दूर है।

गोगाजी मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले आपको जयपुर से सादुलपुर पहुंचना होगा। सादुलपुर से 15 किलोमीटर की दूरी पर दत्तखेड़ा स्थित है। रेलमार्ग के लिए जयपुर रेलवे स्टेशन से सादुलपुर तक 250 किलोमीटर ट्रेन से जाया जा सकता है।

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