राजस्थान राज्य के बीकानेर शहर से करीबन 30 किमी की दूरी पर देशनोक में स्थित करणी माता के मंदिर को चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में असंख्य चूहे रहते हैं। इन चूहों से न कोई बदबू आती है और न ही कोई बीमारी फैलती है।

मान्यता है कि मंदिर दर्शन के समय यदि आपको सफेद रंग चूहा नजर आ जाए तो समझ लीजिए की आप की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। नवरात्र के दिनों में करणी माता मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगती है। इस मंदिर का निर्माण 15 वीं शताब्दी में राजपूत राजाओं ने करवाया था।

इस मंदिर की मान्यता है कि यहां देवी को चढ़ाया गया प्रसाद पहले चूहों को खिलाना पड़ता है। साथ ही चूहों का खाया प्रसाद ही आपको खाना पड़ता है। सुबह पांच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस तो देखने लायक होता है।

किसी इंसान के पैर तले आने से अगर चूहे की मौत हो जाती है तो उसके बदले में सोने या चांदी का चूहा मंदिर में दान करना पड़ता है। मंदिर के बाहर चारो तरफ चारण वंश के परिवार रहते हैं, और वही मंदिर में पूजा करते हैं। संवत 1595 से यहां श्री करणी माता जी की सेवा पूजा होती चली आ रही है। मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक्काशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहां आते हैं।

चांदी के किवाड़, सोने के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए यहां रखी चांदी की बड़ी परात भी देखने लायक है। मां करणी मंदिर तक पहुंचने के लिए बीकानेर से बस, जीप व टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं। बीकानेर-जोधपुर रेल मार्ग पर स्थित देशनोक रेलवे स्टेशन के पास ही है यह मंदिर। वर्ष में दो बार नवरात्रों पर चैत्र और आश्विन माह में इस मंदिर पर विशाल मेला भी लगता है। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए मंदिर के पास धर्मशालाएं भी हैं।

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