गणेश जी कैसे बने एकदंत, जानिए उससे जुड़ी तीन पौराणिक कथाएं?
भगवान गणेश जी का एक नाम एकदंत भी है क्योंकि उनका एक दांत टूटा हुआ है। गणपति महाराज का एक दांत कैसे टूटा, उससे जड़ी अलग-अलग पौराणिक कथाएं हैं।
परशुराम ने किया था फरसे से प्रहार
भगवान एकदंत से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा यह है कि एक बार परशुराम अपने आराध्य भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे। लेकिन द्वार पर खड़े गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। परशुराम ने गणेश जी से काफी विनती की लेकिन वो नहीं माने। अंतत: परशुराम ने गणपति को युद्ध की चुनौती दी। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए भगवान गणेश ने परशुराम से युद्ध किया। इस दौरान परशुराम के फरसे के प्रहार से उनका एक दांत टूट गया और एकदंत कहलाए।
कार्तिकेय जी ने तोड़ा दांत
दूसरी पौराणिक कथा के मुताबिक गणेश जी के बड़े भाई कार्तिकेय की वजह से गणेश जी का दांत टूटा था। कथा में वर्णित है कि बचपन में गणेश जी बहुत शरारत किया करते थे। जबकि उनके बड़े भाई कार्तिकेय सरल स्वभाव के थे। गणेश और कर्तिकेय के विपरीत स्वभाव के कारण शिव-पार्वती काफी परेशान रहते थे। गणेश जी कार्तिकेय को बहुत परेशान करते थे। एक दिन कर्तिकेय ने गणेश जी की पिटाई कर दी। इस झगड़े में उनका एक दांत टूट गया तभी से भगवान श्रीगणेश एकदंत कहलाए।
गणेश जी ने अपने दांत से बना ली कलम
तीसरी कथा के मुताबिक महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखने के समय गणेश जी के आगे शर्त रखी थी कि वे लगातार बोलेंगे और गजानन बिना रुके लिखेंगे। ऐसे में गणेश जी ने अपना एक दांत खुद ही तोड़कर उसे कलम बना लिया। तभी से वे एकदंत कहलाए जाने लगे। इस प्रकार श्री गणेश के एकदंत बनने के पीछे अलग-अलग पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं।