आपको जानकारी के लिए बता दें कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि मंगलवार यानि 9 अप्रैल को है। इस तिथि को विनायकी चतुर्थी कहा जाता है। विनायकी चतुर्थी को भगवान गणपति की पूजा-अर्चना की जाती है।

विनायकी चतुर्थी को भक्तगण भगवान गणपति की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, सुख-समृद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा के दौरान उनके 12 नाम मंत्रों का जाप भी करना चाहिए।

गणपति महाराज के 12 नाम मंत्र

ऊँ गणाधिपतयै नम:, ऊँ उमापुत्राय नम:, ऊँ विघ्ननाशनाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ ईशपुत्राय नम:, ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:, ऊँ एकदन्ताय नम:, ऊँ इभवक्त्राय नम:, ऊँ मूषकवाहनाय नम:, ऊँ कुमारगुरवे नम:

गणपति महाराज की पूजा विधि

गणेश चतुर्थी के दिन स्नान आदि करने के बाद सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान श्रीगणेश को जनेऊ पहनाएं। अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र आदि चढ़ाएं। पूजा का धागा अर्पित करें। चावल चढ़ाएं।

गणेश मंत्र का जाप करते हुए दूर्वा चढ़ाएं और लड्डुओं का भोग लगाएं। कर्पूर से भगवान श्रीगणेश की आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को बांट दें। अगर संभव हो सके तो घर में ब्राह्मणों को भोजन कराएं। ध्यान रहे, गणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले जातक को चंद्र दर्शन करने के बाद ही भोजन करना चाहिए।

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