सेल्फी फोटो ने 17 साल पहले बिछड़ी दो बहनों को मिलाया, डीएनए टेस्ट से हुई पुष्टी
आज के आधुनिक युग में जहां युवाओं में सेल्फी का क्रेज खूब देखने को मिलता है, वहीं कई लोग इसे किसी तरह के श्राप की तरह भी देखते हैं। पूर्व में सेल्फी लेने के चक्कर में कई युवाओं के जान गंवाने की खबर भी सामने आई थी। इसके बाद से ही समाज का एक वर्ग सेल्फी क्रेज का घोर विरोधी हो गया था। लेकिन दक्षिण अफ्रीका में बचपन में बिछड़ी दो बहनों के लिए यही सेल्फी वरदान साबित हुई है। दरअसल, दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर में रहने वाली दो बहनें 17 साल पहले तब जुदा हो गईं थीं, जब जन्म के तीन दिन बाद ही एक बहन को अस्पताल की एक नर्स ने चुरा लिया था।
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सेल्फी के जरिए यह दोनों बहनें आज वापस एक दूसरे से मिलने में कामयाब हो गईं। केपटाउन की रहने वाली सेलेस्टे की बेटी मिशे तीन वर्ष की थी, जब उन्होंने 30 अप्रैल 1997 को दूसरी बेटी को जन्म दिया। जन्म के तीन दिन बाद ही उनकी नवजात बेटी को अस्पताल की ही एक नर्स ने चुरा लिया था, जिसके कारण मिशे अपनी छोटी बहन से बिछड़ गईं थीं। 20 वर्षीय मिशे ज्वानस्वाक हाई स्कूल के अंतिम वर्ष में थीं, तभी वहां कैसिडी ने एडमिशन लिया। दोनों का स्कूल में अक्सर आमना सामना होता रहता था। दोनों की दोस्त अक्सर उनसे कहा करती थीं कि तीन वर्ष का अंतर होने के बावजूद दोनों बिल्कुल एक-दूसरे की तरह ही दिखती हैं। इसके अलावा जब भी दोनों एक-दूसरे से मिलती थीं, उन्हें एहसास होता था कि दोनों के बीच शायद कोई रिश्ता है।
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एक दिन मिशे ने कैसिडी के साथ सेल्फी ली और अपने दोस्तों को दिखाई तो सबने एक ही सवाल किया कि क्या वे दोनों पक्का मानती हैं कि उनके माता-पिता ने उन्हें गोद नहीं लिया है। अपने दोस्तों द्वारा इस तरह का सवाल पूछे जाने पर मिशे भी शंका में आ गईं जिसके बाद उन्होंने कैसिडी के साथ ली अपनी सेल्फी अपने माता-पिता को दिखाई फोटो देख कर मिशे की मां चौंक गईं और उन्होंने आशंका जताई कि शायद कैसिडी मिशे की खोई हुई बहन है। इसके बाद मिशे को इस बात की जानकारी हुई कि बचपन में उनकी बहन चोरी हो गई थी।
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मिशे ने कैसिडी से पूछा कि क्या उसका जन्म 30 अप्रैल 1997 को हुआ था तो कैसिडी ने कहा हां। जिसके बाद पूरे मामले की खबर पुलिस को दी गई। कैसिडी का डीएनए टेस्ट भी कराया गया जो मिशे व उनके परिवार के डीएनए से मैच हो गया। इसके बाद पुलिस ने कैसिडी को बचपन में चुराने वाली नर्स लोनोवा को गिरफ्तार कर लिया। कैसिडी को इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा है कि उसकी मां लोनोवा ने उसे बचपन में चुराया था और वह लोनोवा की अपनी औलाद नहीं है। इसका एक कारण यह भी है कि लोनोवा ने कैसिडी की परवरिश लाड़-प्यार से किसी राजकुमारी की तरह की है। अदालत में यह दलील दी गई कि लोनोवा ने कैसिडी को इसलिए चुराया क्योंकि उसे गर्भपात हो गया था और वह बच्चे की चाह में थी। कोर्ट ने लोनोवा को दस वर्ष की सजा सुनाई है। इधर कैसिडी तय नहीं कर पा रही थी कि वह अपने जैविक माता-पिता के पास जाए या अपने घर जाए जहां वह लोनोवा और अपने तीन अन्य भाई बहनों के साथ रहती थी। लोनोवा के जेल जाने के बाद कैसिडी के तीनों भाई-बहन शासन की कस्टडी में हैं। अंत में कैसिडी अपने असली माता-पिता के घर चली गई। शायद लोनोवा के रिहा होने के बाद कैसिडी वापस उनके साथ रहने आ जाए।