जब भी किसी की शादी होती है या कोई शुभ काम होता है तो इसमें शगुन या नेग दिया जाता है। ये हमेशा 11, 21,51,101 इसी तरह से दिया जाता है। तो आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर ये एक रुपए जोड़ कर ही क्यों दिया जाता है? इसी बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

इसके पीछे कोई खास और अहम तथ्य नहीं है, ज्यादातर लोग परंपरा के कारण इसे निभाते हैं। हालांकि, इसमें अगर रिसर्च की जाए तो कई तरह की चीजों से इस परंपरा को जोड़ा जाता है और माना जाता है कि इस वजह से ये एक रुपये जोड़े जाते हैं।

पुराने वक्त से चली आ रही है परंपरा
कई रिपोर्ट्स के अनुसार पुराने दौर में किसी शुभ कार्य में 20 आना देने की परंपरा थी, जिसका मतलब है 1 रुपये और 25 पैसे यानी सवा रुपये। आपको जानकरी के लिए बता दें कि एक रुपए में 16 आने होते हैं। इसलिए ही 50 पैसे को अठन्नी और 25 पैसे को चवन्नी कहते हैं। सीधे शब्दों में कहे तो कुछ बढ़ा कर देने की परंपरा तभी से चली आ रही है। इसलिए 1 रुपये में कुछ बढ़ाकर दें तो सवा रुपये बन जाता है।

शुभ-अशुभ
इसके अलावा लोगों का मानना है कि किसी भी रकम में जीरो आ जाए तो वो अंतिम नंबर हो जाता है। इसलिए अगर इन शुभ कामों में रिश्तेदारों को जीरो के आधार पर नेग देते हैं तो वो रिश्ता खत्म हो जाता है। इसलिए इसमें एक रुपए अधिक बढ़ा दिए जाते हैं। इसके अलावा कई अहम चीजें विषम ही है जैसे 7 का सप्त ऋषि, 9 का नौदेवी या नौग्रह आदि।

सोच का भी है एंगल
दरअसल इसमें एक खास रुपए की सोच भी है जैसे 51 रुपये देते हैं तो लगता है कि यह 50 से एक ज्यादा है। इसमें एक रुपये ज्यादा होने का अनुभव होता है. लेकिन अगर 59 दिए जाए तो लगता है कि यह 60 में एक रुपये कम है इसलिए इनमे एक रुपए अधिक जोड़ कर दिया जाता है।

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