केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत में अब तक 17 राज्यों से 358 ओमीक्रॉन मामले सामने आए हैं। इनमें से 114 ठीक हो चुके हैं। भारत द्वारा 183 ओमीक्रॉन पॉजिटिव मामलों का विश्लेषण किया गया और कुछ महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं।

विश्लेषण किए गए ओमीक्रॉन सकारात्मक मामलों में से, 73% रोगियों का विदेश यात्रा इतिहास था। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 183 सकारात्मक मामलों में से 121 रोगियों का विदेश यात्रा इतिहास था जबकि 44 का कोई अंतरराष्ट्रीय यात्रा इतिहास नहीं था।

हालांकि सबसे बड़ा झटका यह है कि 70% संक्रमित असिम्प्टमेटिक थे यानी उनमे कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहा था और लगभग 91% पूरी तरह से वेक्सीनेटेड थे। 7% लोग ऐसे थे जो वेक्सीनेटेड हैं जबकि 2% आंशिक रूप से वेक्सीनेटेड थे। संक्रमितों में 61 फीसदी पुरुष और 39 फीसदी महिलाएं हैं।

ओमिक्रॉन के अधिक रोगी ऐसे हैं जिनमे कोई लक्षण नहीं है।

दिल्ली में डॉक्टरों का कहना है कि डेल्टा स्ट्रेन की तुलना में ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित मरीजों में हल्के लक्षण होते हैं। डॉक्टर्स के अनुसार डेल्टा की तुलना में गंभीरता के मामले में यह हल्का है और कुछ रोगियों ने बुखार की शिकायत भी नहीं की।

एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ सुरेश कुमार ने कहा कि जिन 34 ओमीक्रॉन रोगियों का उन्होंने इलाज किया उनमें किसी में कोई लक्षण नहीं थे। एक मरीज को निम्न श्रेणी का बुखार था, एक को शरीर में दर्द की शिकायत थी और बाकी में सर्दी जैसे लक्षण थे।डॉ कुमार ने कहा कि सभी रोगियों को केवल रोगसूचक उपचार दिया गया था और उनमें से किसी को भी स्टेरॉयड, ऑक्सीजन या एंटीवायरल की आवश्यकता नहीं थी। इन रोगियों का इलाज केवल पेरासिटामोल की गोलियों से किया गया था। वह भी तब जब उन्हें बुखार हुआ हो।

ओमिक्रॉन के बारे में क्या अध्ययन कहता है

आईसीएमआर में महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ ललित कांत ने कहा कि हांगकांग में एक अध्ययन किया गया था। अध्ययन से पता चला है कि 24 घंटों के बाद, ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा या ओरिजिनल स्ट्रेन से लगभग 70 गुना अधिक रेप्लीकेट करता है।

डॉ ललित कांत ने कहा कि इससे ग्रस्त लोग दूसरों को अधिक आसानी से संक्रमित कर सकते हैं।

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