गणेश जी की पूजा करते समय अपनाएं ये उपाय, मिलेगा ये लाभ
इंटरनेट डेस्क। दोस्तों आपको बता दे की गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन डिंक नामक मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रो के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। दोस्तों आज हम आपको गणेश जी के पूजा के नियमो के बारे में बता रहे है। जिन्हे आप अपनाकर गणेश जी कृपा पा सकते है। तो दोस्तों आप भी इन नियमो के बारे में जान लीजिये।
दोस्तों आपको बता दे की सर्वप्रथम प्रात: काल स्नान आदि करके गणेश प्रतिमा, यदि संभव हो तो किसी धातु की प्रतिमा का चयन करें, को मिट्टी और नींबू से अच्छे से साफ करके पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके लाल रंग के आसान पर स्थापित करना चाहिए।
दोस्तों यह सब करने के बाद आप शुद्ध आसन पर स्वयं भगवान के सम्मुख मुख करके बैठे, और गणेश जी का ध्यान करते हुए उन्हें पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौलि, लाल चंदन और मोदक आदि पूजन सामग्री समर्पित करना चाहिए। गणेश्ा जी पर तुलसी दल और तुलसी पत्र नहीं चढ़ाया जाता इसलिए उन्हें किसी शुद्ध स्थान से चुनी हुई दुर्वा धोकर चढ़ायें और लाल पुष्प, पान का पत्ता अर्पित करना चाहिए। ध्यान रहे गणेश जी की पूजा करते समय किसी प्रकार का क्रोध न करें। उन्हें पंचामृत अर्पित करें और आरती करनी चाहिए।
दोस्तों आपको बता दे की अंत में श्री गणेश का स्मरण कर ‘ऊं गं गणपतये नम:’ मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। प्रत्येक बुधवार को इन पांच पायदानों से गुजरते हुए पूजा करने से मनुष्य को निश्चित शुभ लाभ और समृद्धि प्राप्त होगी।