परिवार किसी भी व्यक्ति के जीवन में बहुत ही अहम भूमिका निभाता है और बिना विवाह के परिवार का बनना संभव नहीं है। वैसे भी एक उम्र के बाद हर व्यक्ति चाहे पुरुष हो अथवा महिला की इच्छा होती है कि उसका विवाह हो। लेकिन जब बात ज्योतिष शास्त्र की होती है तो हाथ में बनी रेखाएं भाग्य के बारे में बहुत कुछ कहते है। हालांकि ज्योतिष शास्त्र की विभिन्न शाखाओं के जरिये यह पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि जातक के भाग्य में विवाह के योग कब बनेंगें। ज्योतिष की इन्हीं विधाओं में हस्तरेखा शास्त्र भी बहुत कुछ बयां करता है।

हथेली पर कहां होती है विवाह की रेखा
सबसे छोटी अंगुली जिसे कनिष्ठिका कहा जाता है, उसके नीचे का हिस्सा सामुद्रिक शास्त्र की भाषा में बुध पर्वत कहलाता है। इसी हिस्से में एक लंबी रेखा दिखाई देती है जो हथेली पर से होते हुए जाती है इसे हृद्य रेखा कहा जाता है। हृद्य रेखा व कनिष्ठिका के बीच में दिखाई देने वाली आड़ी रेखाओं को आप विवाह रेखा कह सकते हैं क्योंकि इनके द्वारा ही हस्तरेखा विज्ञान में आपके विवाह का आकलन किया जाता है।

यदि किसी जातक के हाथ में इस प्रकार की रेखाएं एक से अधिक हों तो कुछ विद्वान बहु विवाह यानि एक से अधिक विवाह का अनुमान लगाते हैं लेकिन ऐसे में अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि इन कई रेखाओं में जो सबसे लंबी हो वही विवाह की रेखा होती है अन्य रेखाएं जातक के प्रेम-प्रसंगों की ओर इशारा करती हैं। इनमें से भी यदि बड़ी रेखा लंबी होने के आगे जाकर पतली हो जाती है तो उस जातक के जीवन साथी का स्वास्थ्य गड़बड़ाये रहने के आसार होते हैं।

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