हिंदू धर्म में बुधवार के दिन श्री गणेश की पूजा करने से विशेष पुण्य लाभ मिलते हैं। इस दिन श्री गणेश को मोदक का भोग लगाकर पूजा करने से बुद्धि बढ़ती है और साथ ही सुख-सफलता बनी रहती है। धर्मशास्त्रों में भी श्रीगणेश की अग्रपूजा का विधान बताया गया है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव त्रिपुरासुर का वध करने में असफल रहे, तब वह सोचने लगे कि आखिर उनके कार्य में विघ्न क्यों पड़ा? बाद में उन्हें अहसास हुआ कि वह श्रीगणेश की अर्चना किए बिना ही युद्ध करने चले गए थे। इसके लिए महादेव ने गणपति की पूजा करके उन्हें मोदक के भोग अर्पित किए। तत्पश्चात उन्होंने बड़ी आसानी से ही युद्ध में त्रिपुरासुर का अंत कर दिया।

मान्यता है कि बुधवार के दिन गणेश जी की भक्ति से शनि ग्रह दोष सहित सभी बाधाएं दूर हो जाती है। उनकी उपासना से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है। पूजा के दौरान ॐ गं गणपतये नमः का 108 नाम मंत्र का जाप करना चाहिए।

मान्यता है कि संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने से गणपति भक्तों को बुद्धि, धन, पुत्र और मोक्ष आदि प्रदान करते हैं। संकटनाशन गणेश स्तोत्र इस प्रकार है-

प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम। भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ।।

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम। तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम।।

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च। सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ।।

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम। एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम।।

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:। न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो।।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्। पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्। संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत। तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।।

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