आज के दिन गणेश जी की पूजा का विशेष महत्त्व है। आज संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज किया जाता है। इस व्रत में सुबह-शाम गणेश जी की पूजा की जाती है। फिर रात में चंद्रमा के दर्शन कर चंद्रमा की पूजा करके व्रत को खोला जाता है। संकष्टी चतुर्थी के इस व्रत पर कई बातों का ध्यान रखना चाहिए वरना छोटी सी गलती से व्रत और पूजा का फल नहीं मिल पाता है। इस व्रत को करने के नियम हमारे ग्रंथों में बताए गए है इन नियमों के अनुसार व्रत करने से हमारी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। ग्रंथो के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के व्रत में चौथ माता के साथ गणेश जी की पूजा भी की जाती है।
आज के दिन पूजा के समय गणेश जी के मंत्रो का उच्चारण करना चाहिए। बिना गणेश जी की पूजा किये संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरा नहीं माना जाता है। व्रत में पूजा के समय गणेश जी को हरे फूल, दूर्वा, गुड़, तिल की मिठाई या अन्य मिठाई का भोग लगाना चाहिए। पूजा के समय भी सबसे पहले गणेशजी का ध्यान मंत्र बोलना चाहिए, फिर पूजा की सामग्री चढ़ानी चाहिए।

ऐसे होती है आज के दिन गणेश जी की पूजा :
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। घर में पूजा के स्थान पर गणेश जी की चौकी लगा कर लाल रंग के कपड़े पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
अब गणेश जी को माला पहना कर धूप व दीप से पूजा करें। इसके बाद अपने सीधे हाथ में जल लेकर दिनभर व्रत रखने का संकल्प करें और गणेश जी की कथा करें। गणेश जी की पूजा के बाद अब चौथ माता की कथा करें।
अब सूर्य को जल चढ़ाकर प्रार्थना करें।
दिनभर अन्न नहीं खाएं और दिन भर अपने मन में गणेश जी और चौथ माता के मंत्रो का उच्चारण करते रहें।

इस मंत्र का करें उच्चारण :

ॐ गणपतये नमः॥ ॐ गणेश्वराय नमः॥ ॐ गणक्रीडाय नमः॥
ॐ गणनाथाय नमः॥ ॐ गणाधिपाय नमः॥ ॐ एकदंष्ट्राय नमः॥
ॐ वक्रतुण्डाय नमः॥ ॐ गजवक्त्राय नमः॥ ॐ मदोदराय नमः॥
ॐ लम्बोदराय नमः॥ ॐ धूम्रवर्णाय नमः॥ ॐ विकटाय नमः॥

ॐ विघ्ननायकाय नमः॥ ॐ सुमुखाय नमः॥ ॐ दुर्मुखाय नमः॥
ॐ बुद्धाय नमः॥ ॐविघ्नराजाय नमः॥ ॐ गजाननाय नमः॥
ॐ भीमाय नमः॥ ॐ प्रमोदाय नमः ॥ ॐ आनन्दाय नमः॥
ॐ सुरानन्दाय नमः॥ ॐमदोत्कटाय नमः॥ ॐ हेरम्बाय नमः॥

ॐ शम्बराय नमः॥ ॐशम्भवे नमः ॥ॐ लम्बकर्णाय नमः ॥ॐ महाबलाय नमः॥
ॐ नन्दनाय नमः ॥ॐ अलम्पटाय नमः ॥ॐ भीमाय नमः ॥ॐमेघनादाय नमः ॥
ॐ गणञ्जयाय नमः ॥ॐ विनायकाय नमः ॥ॐविरूपाक्षाय नमः ॥ॐ धीराय नमः ॥
ॐ शूराय नमः ॥ॐवरप्रदाय नमः ॥ॐ महागणपतये नमः ॥ॐ बुद्धिप्रियायनमः ॥

ॐ क्षिप्रप्रसादनाय नमः ॥ॐ रुद्रप्रियाय नमः॥ ॐ गणाध्यक्षाय नमः ॥
ॐ उमापुत्राय नमः ॥ ॐ अघनाशनायनमः ॥ॐ कुमारगुरवे नमः ॥
ॐ ईशानपुत्राय नमः ॥ॐ मूषकवाहनाय नः ॥ ॐ सिद्धिप्रदाय नमः॥
ॐ सिद्धिपतयेनमः ॥ॐ सिद्ध्यै नमः ॥ॐ सिद्धिविनायकाय नमः॥
ॐ विघ्नाय नमः ॥ॐ तुङ्गभुजाय नमः ॥ ॐ मोहिनीप्रियाय नमः ॥

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