निर्भया गैंगरेप और हत्या के चौथे दोषी पवन की क्यूरेटिव पिटिशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए 3 मार्च का समय दिया था और अब इस दिन फांसी लग्न लगभग तय है। जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने कहा कि इस पर सवाल उठाने का अब कोई सवाल ही नहीं होता।

फांसी देना और लेना कोई आसान काम नही हैं। इसके लिए बहुत से रूल्स होते हैं और कई तरह के नियमों का पालन करने के साथ जल्लाद को फांसी देने का प्रशिक्षण भी लेना पड़ता है।

आज हम आपको फांसी देने से जुड़ी कुछ ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आप भी नहीं जानते होंगे।

फांसी की सजा सुनाने के बाद जज पेन की निब क्यों तोड़ देते हैं

फांसी की सजा सुनाने के बाद पेन की निब इसलिए तोड़ दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योकिं ये किसी की जिंदगी का खात्मा है और इस पेन का उपयोग अब दुबारा नहीं किया जाएगा। उसके बाद खुद जज को भी यह यह अधिकार नहीं होता कि उस जजमेंट की समीक्षा कर सके या उस फैसले को बदल सके।

फांसी देते वक्त कौन-कौन होता है मौजूद

फाँसी देते समय जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जल्लाद और डाॅक्टर ही मजूद रहते हैं।

जल्लाद कान में क्या कहता है।

फांसी देने से पहले जल्लाद दोषी के कान में कहता है कि हिंदू भाईयों को राम-राम, मुस्लिम को सलाम, हम क्या कर सकते है हम तो है हुकुम के गुलाम।

सूर्योदय से पहले ही फांसी क्यो दी जाती हैं ?

फांसी हमेशा सुबह सुबह दी जाती है ताकि फांसी देने के बाद के काम को निपटाने, सभी तरह की फॉर्मेलिटीज करने और शव को उनके परिवार वालों को सौंपने के लिए समय हो। सुबह फांसी इसलिए भी दी जाती है ताकि दूसरे कैदी और काम प्रभावित ना हो। जिसे फांसी दी जानी है उसे पूरे दिन इंतजार ना करना पड़े इसलिए एक नैतिकता के आधार पर भी सुबह फांसी दी जाती है।

आखिरी इच्छा में क्या माँगा जा सकता है?

कैदी की किसी आखिरी इच्छा में परिजनों से मिलना, कोई खास डिश खाना आदि शामिल होता है।

कितनी देर के लिए फांसी पर लटकाया जाता हैं ?

मुजरिम को फांसी पर लटकाने से पहले उसके मुँह को ढक दिया जाता है और 20 मिनट के लिए लटकाया जाता है। फिर डाॅक्टर आकर चेकअप करते हैं और उसके मर्त घोषित होने के बाद ही उसे फंदे से नीचे उतारा जाता है।

फांसी से जुड़े रोचक तथ्य

  • सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश अनुसार दोषी के परिवार वालों को इस बारे में 15 दिन पहले खबर मिल जानी चाहिए।
  • फांसी जिनको दी जानी है उसके लिए फांसी के फंदे जेल में मौजूद कैदी ही बना कर तैयार करता है।
  • फांसी के फंदे की मोटाई डेढ़ इंच से ज्यादा ही होनी चाहिए।
  • भारत में फांसी देने के लिए बस 2 ही जल्लाद हैं। इन्हे मात्र 3,000 रूपए महीने दिए जाते हैं लेकिन अगर ये किसी को फांसी देते हैं तो इन्हे 25000 रुपए दिए जाते हैं। वहीं आतंकी संघटन से जुड़े व्यक्ति को फांसी देने पर और भी मोटी फीस दी जाती हैं।

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