इंटरनेट डेस्क। हिन्दू धर्म में भगवान शिव को ब्रह्मा और विष्णु के साथ त्रिदेव के रूप में जाना जाता है। शिव जी को भोलेनाथ और महादेव के नाम से जाना जाता है जो कि अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते है।

सावन का महीना शिव जी की पूजा करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। सावन के महीने में शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर दूध, शहद, भस्म, बेलपत्र, भांग इत्यादि चीज़ें चढ़ाने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।

हालाँकि शिवजी की पूजा करते समय आपके यह देखा होगा कि कुछ लोग शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करते है वहीं कुछ लोग सिर्फ शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करते है। शास्त्रों और शिवपुराण के अनुसार आपको शिवलिंग की केवल आधी परिक्रमा ही करनी चाहिए।

इसका कारण यह है कि भगवान शिव आदि और अनंत दोनों है। शिवलिंग से निकलने वाले ऊर्जा और शक्ति का कोई अंत नहीं होता है। इस शक्ति को निर्मिली के नाम से जाना जाता है और यह शक्ति इतनी तेज होती है कि कोई भी व्यक्ति इसके बीच में नहीं आ सकता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस ऊर्जा को पार करता है, उसकी सभी चीज़ें, शक्ति और ज्ञान समाप्त हो जाता है। इसी वजह से आपको कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए।

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