दोस्तों देश की केंद्रिय सरकारी और राज्य सरकारें अपने नागरिकों के जीवन से कठिनाईयों और वित्तिय परेशानियां दूर करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाती हैं, जिनका उद्धेश्य इन लोगो वित्तीय सहायता, सब्सिडी और संसाधनों के साथ सशक्त बनाना है। ऐसी ही एक योजना हैं प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना, जो विशेष रूप से पारंपरिक व्यवसायों में लगे कारीगरों के लिए बनाई गई है। यह योजना न केवल उनके शिल्प कौशल को पहचानती है बल्कि उनके कौशल और आजीविका को बढ़ाने के लिए आवश्यक सहायता भी प्रदान करती है, आइए जानते हैं इसके बारे में-

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लक्षित लाभार्थी: यह योजना 18 पारंपरिक व्यवसायों में लगे व्यक्तियों पर केंद्रित है, जिनमें शामिल हैं:

  • मूर्तिकार
  • टोकरी, चटाई और झाड़ू बनाने वाले
  • बंदूक बनाने वाले
  • गुड़िया और खिलौने बनाने वाले
  • नाई (बाल काटने वाले)
  • माला बनाने वाले
  • धोबी
  • दर्जी
  • मछली पकड़ने के जाल बनाने वाले
  • सुनार
  • लोहार

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पात्रता मानदंड: पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभों के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए, आपको ऊपर सूचीबद्ध निर्दिष्ट व्यवसायों में से एक से संबंधित होना चाहिए।

प्रशिक्षण और वजीफा: लाभार्थियों को कई दिनों तक चलने वाला प्रशिक्षण मिलेगा, साथ ही इस अवधि के दौरान उन्हें प्रतिदिन 500 रुपये का वजीफा भी मिलेगा।

वित्तीय सहायता:

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प्रत्येक लाभार्थी अपने शिल्प के लिए आवश्यक टूलकिट खरीदने के लिए 15,000 रुपये पाने का पात्र है।

यह योजना 1 लाख रुपये तक की ऋण सुविधा प्रदान करती है, जिसमें पुनर्भुगतान पर अतिरिक्त 2 लाख रुपये का विकल्प भी है, यह सब बिना किसी संपार्श्विक की आवश्यकता के और कम ब्याज दर पर किया जाता है।

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना में शामिल होकर, कारीगर बहुमूल्य कौशल, वित्तीय संसाधन और अंततः एक उज्जवल भविष्य प्राप्त कर सकते हैं।

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