भारत में कुछ स्थानों पर आज भी ऐसी परम्पराएं हैं जिन्हें जानकर न केवल आप चौंक जाएंगे बल्कि उस पर विश्वास सहजता से नहीं कर पाएंगे। हम आपको एक प्रजाति के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ पर भाई-बहन की आपस में शादी कराई जाती है। आइये जानते हैं इसके बारे में। छत्तीसगढ़ में एक धुरवा आदिवासी समाज है, जहां पर यह परंपरा निभाई जाती है। छत्तीसगढ़ में बस्तर की कांगेरघाटी के इर्द-गिर्द बसे धुरवा जाति के लोग बेटे-बेटियों की शादी में अग्नि को नहीं बल्कि पानी को साक्षी मानते हैं।


इस समाज की सबसे अलग प्रथा है कि इनके यहां बहन की बेटी से मामा के बेटे (ममेरे फुफेरे भाई बहन) की शादी होती है। इसी के साथ अगर कोई ऐसा करने से मना करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाता है। यहीं नहीं यहां बाल विवाह का भी चलन है।

हालांकि, अब इस परंपरा को धीरे-धीरे खत्म करने के लिए कोशिशें शुरू हो गई हैं।समाज में शादियों के रजिस्ट्रेशन और शादी के लिए लड़की की न्यूनतम उम्र 18 और लड़के की 21 साल की होने की बात की जाने लगी है।

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