आपने आज तक आपने चिकन खाया होगा जो मुर्गे को काट कर तैयार किया जाता है लेकिन क्या आपने कभी ऐसे चिकन के बारे में सुना है जिसे जानवर को मार कर तैयार नहीं किया गया हो? अब सिंगापूर की लैब में ऐसा ही चिकन तैयार किया गया है जिसे बेचने की भी अनुमति मिल गई है। सिंगापुर दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसने लैब में बने चिकन को बेचने की अनुमति दे दी है।

लैब में मीट तैयार करने के लिए सबसे पहले एक जीवित जानवार का स्टेम सेल लिया जाता है। इन्हें लैब में ऐसी परिस्थितियों में रखा जाता है कि सेल्स प्राकृतिक रूप से विकसित हो पाएं। इन कोशिकाओं से स्टेम सेल बनती है जिनसे मसल्स फाइबर तैयार होते हैं। एक बर्गर को बनाने के लिए कम से कम 20 हजार मसल्स फाइबर की जरूरत होती है।

लैब में बना मीट पर्यावरण के लिए भी काफी लाभकारी है। आने वाले साल में अगर कुल उत्पादन का छोटा हिस्सा भी लैब में बने मीट से पूरा हो जाए तो इससे पर्यावरण को काफी राहत मिल सकती है। मीट की मांग को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में जानवरों को पाला जाता है। इसके लिए ग्रीन हाउस गैस का भारी मात्रा में उत्सर्जन होता है। इस कारण पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है।

2013 में पहली बार लैब में मीट तैयार कर बर्गर बनाया गया लेकिन इसकी 2.5 लाख यूरो की लागत आई थी यानी एक बर्गर के लिए 2 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च। 6 साल तक चली रिसर्च के बाद अब एक बर्गर की कीमत 10 से 12 यूरो तक है लेकिन अब भी ये सामान्य बर्गर की तुलना में कई गुणा महंगा ही है।

सिंगापुर में लैब में तैयार मीट को बेचने की इजाजत के बाद से एक उम्मीद की नई किरण जगी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि लैब से तैयार मीट के क्षेत्र में आपार संभावनाएं हैं।

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