देशभर में होने वाली अस्पताल की लापरवाही रुकने का नाम ही नहीं ले रही हैं. पिछले कुछ महीनो में हॉस्पिटल में होने वाली लापरवाही के कई केस सामने आए हैं. उदहारण के लिए नासिक के एक हॉस्पिटल में ऑक्सीजन पाइप में काकरोच फसने से मरीज की मौत हो गई थी तो वहीँ मुंबई में कोमा में पड़े एक मरीज की आँख को चूहा कुतर गया था. इसी कड़ी में एक और लापरवाही से जुड़ा मामला हैदराबाद के निलौफर अस्पताल से आ रहा हैं. यहाँ परिजनों का आरोप हैं कि डॉक्टर्स ने उनके 3 महीने के बच्चे को गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ा दिया. इसके बाद जो हुआ उसने सभी को झंझोड़ के रख दिया. आइए विस्तार से जाने क्या हैं पूरा मामला…

दरअसल ये पूरी घटना हैदराबाद के निलोफर हॉस्पिटल की बताई जा रही हैं. जानकारी के मुताबिक यहाँ एम. महेश नाम के एक शख्स ने अपने 3 महीने के बच्चे को हॉस्पिटल में 6 अप्रैल के दिन भर्ती किया था. इसके बाद 15 अप्रैल को डॉक्टरों ने तीन महीने के इस बच्चे को ‘ओ पॉजिटिव’ ग्रोपू का ब्लड चढ़ाया. पिता का कहना हैं कि बच्चे का ब्लड ग्रुप ‘ए पॉजिटिव’ हैं. लेकिन इसके बाद भी अस्पताल वालो ने लापरवाही बरती और छोटे से बच्चे को गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ा दिया.

बच्चे को गलत ब्लड ग्रुप का खून देने के कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई. बच्चे की मौत से दुखी परिजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया और विरोध प्रदर्शन करने लगे. मामले को शांत करने के लिए नामपल्ली पुलिस स्टेशन से एक सीनियर ऑफिसर और उनकी टीम हॉस्पिटल पहुंची. यहाँ उन्होंने स्थिति को जैसे तैसे काबू में किया. इस घटना के बाद मृत बच्चों के परिजनों ने पुलिस में FIR भी दर्ज करवाई. पुलिस ने IPC की धरा 336 (किसी की जान या सुरक्षा को लेकर लापरवाही) के तहत मामला दर्ज किया हैं.

हालाँकि इस पूरी घटना पर हॉस्पिटल सुपरीटेंडेंट का सफाई पेश करते हुए एक बयान भी आया हैं. उन्होंने कहा कि “बच्चा Hemophagocytic Lymphohistiocytosis (HLH) नामक बिमारी से पीड़ित था, जिसकी वजह से ये केस पेचीदा ही गया और उसकी बॉडी में इन्फेक्शन फ़ैल गया.”

बच्चे को गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाने पर अस्पताल प्रशासन का यह भी कहना हैं कि “6 महीने तक के बच्चो के केस में ब्लड ग्रुप मेटर नहीं करता हैं. इसलिए बच्चे को ‘ए पॉजिटिव’ की जगह ‘ओ पॉजिटिव’ ग्रुप का ब्लड दिया गया.”

इस घटना पर तेलंगाना के स्वास्थ मंत्री सी. लक्षम रेड्डी की प्रतिक्रिया भी आई हैं. उन्होंने कहा कि “डॉक्टरों ने बच्चे को उचित ट्रीटमेंट देने के लिए अपना बेस्ट किया हैं. हालाँकि बच्चा एक बिमारी से ग्रसित था इसलिए उसका शरीर नाजुक हो गया और इन्फेक्शन फैलने से उसके बचने के चांस कम हो गए.”

हालाँकि साथ ही मंत्री जी ने एक विशेषज्ञों की गठित कर बच्चे की मौत के सटीक कारण को जाने के आदेश भी दिए हैं. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह कोई पहली बार नहीं हैं जब निलोफर अस्पताल पर लापरवाही के आरोप लगाए गए हैं. इसके पहले भी पिछले साल फ़रवरी में इस अस्पताल में एक सप्ताह में ही 5 महिलाए बच्चे की डिलीवरी के दौरान मर गई थी.

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