नाग पंचमी : ऐसे शुरू हुई नागों की पूजा, जानिये नाग देवता की पूजा करने का पौराणिक महत्व
इंटरनेट डेस्क। हिन्दू धर्म में लगभग पशु-पक्षियों जैसे हर जीव मात्र को भगवान का दर्जा दिया गया है। त्यौहार के दिन देवी-देवताओं के साथ उनसे संबंधित पशुओं की भी पूजा की जाती है। जैसे गणेश चतुर्थी के दिन चूहे और शिवरात्रि के दिन नंदी बैल की पूजा की जाती है। इसी तरह से सांप का संबंध भगवान शिव से है। हिन्दू धर्म में साँपों की पूजा करने के लिए पूरा एक दिन समर्पित है जिसे नाग पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन साँपों के देवता 'नाग देवता' की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी के त्यौहार के साथ कई कहानियां और मान्यताएं जुडी हुई है। आज हम आपको नाग पंचमी से जुडी कुछ पौराणिक बातें बता रहे है जिनका वर्णन भविष्य पुराण में किया गया है।
हिंदू धर्म के शास्त्रों में से एक भविष्य पुराण के अनुसार नाग पंचमी सांपों से बहुत प्रिय हैं और यह सतयुग में सांपों के निवास स्थान नाग लोक में भी मनाया जाता था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति सांप को दूध से स्नान करवाता है, उसके सभी डर दूर होते है और उसका परिवार सुरक्षित रहता है।
शास्त्रों में बारह प्रकार के सांपों का वर्णन हैं जिनमें से नाग पंचमी के दिन वासुकी, तक्षक, कालिया, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, करकोटक और धनंजय की पूजा करना शुभ माना जाता है।
एक कहानी के मुताबिक, एक बार पूरे नाग लोक में आग लग गई थी तब सांपों के जलते हुए शरीर को शांत करने के लिए गाय के दूध से स्नान करवाया गया था। चूंकि उस दिन पंचमी तिथि था, इसलिए तभी से नाग पंचमी के दिन साँपों को दूध स्नान करना और पूजा करना शुभ माना गया है।
कई बार व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष या कालसर्प योग होता है। कुंडली में इन दोनों की उपस्थिति व्यक्ति के जीवन में कई बाधाएं और समस्याएं उत्पन्न करती है। लेकिन नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करके आप इस दोष को दूर कर सकते है। इस दोष को दूर करने के लिए नाग पंचमी के दिन कई अन्य उपाय भी किये जा सकते है।