Marriage Certificate- देश के इन लोगो का नहीं बन पाएगा मैरिज सर्टिफिकेट, जानिए वजह
दोस्तो शादी दुनिया का सबसे पवित्र बंधन हैं, जिसमें दो अनजान लोग सात जन्म तक साथ जीने मरने की कस्में खाते हैं, जैसा की हम सब जानते हैं कि भारत में विभिन्न प्रकार के धर्म के लोग रहते है, जिनकी विवाह करने की अलग प्रथाएं होती हैं, लेकिन सरकार ने विवाह की पुष्टि करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र बनवाना जरूरी कर दिया हैं, जो विवाह की आधिकारिक मान्यता के रूप में कार्य करता है, आइए जानते इसके बारे में यह क्यों हैं जरूरी और किन लोगो का नहीं बन सकता हैं-
विवाह प्रमाणपत्र का महत्व
विवाह प्रमाणपत्र एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है जो एक जोड़े की वैवाहिक स्थिति के प्रमाण के रूप में कार्य करता है। यह विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह विभिन्न कानूनी और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए आवश्यक हो सकता है।
विवाह प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए मुख्य नियम
कानूनी आयु आवश्यकता:
भारत में विवाह के लिए कानूनी आयु महिलाओं के लिए 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष निर्धारित की गई है। यदि विवाह के समय कोई भी पक्ष इस आयु से कम है, तो विवाह प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा, जिससे विवाह अमान्य हो जाएगा।
आवेदन के लिए समय सीमा:
नवविवाहित जोड़ों को शादी के 30 दिनों के भीतर विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा। यदि इस अवधि के भीतर आवेदन जमा नहीं किया जाता है, तो पांच साल तक की देरी शुल्क लागू हो सकता है।
विवाह के बाद आवेदन में देरी:
जो जोड़े शादी के बाद पांच साल के भीतर विवाह प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने में विफल रहते हैं, वे उसके बाद विवाह प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए अयोग्य होंगे।