...ये वैज्ञानिक रहस्य जानकर कभी नहीं भूलेंगे नमस्कार करना!
नमस्कार करना हमारी संस्कृति का एक अहम हिस्सा रहा है। हांलाकि आजकल हम लोग इसका कम इस्तमाल करने लगे हैं। कुछ उत्तर आधुनिक लोग नमस्कार के पीछे रुढ़िवादी सोच बताते हैं। लेकिन इसके पीछे जो वैज्ञानिक दृष्टि है, उसे जानकर आप किसी को नमस्कार करना कभी नहीं भूलेंगे।
जानिए नमस्कार करने का सही तरीका
— सबसे पहले आराम से सीधे खड़े रहें।
— दोनों हाथों के पंजे छाती के पास लाकर हाथों के पंजों को मिला दें। ध्यान रहे, हाथों के पंजों को थोड़ा टेड़ा रखते हुए छाती से स्पर्श कराएं। उंगलियों से उंगलियां मिलनी चाहिए।
— नमस्कार के दौरान हाथों में कुछ भी समान नहीं होना चाहिए। मन में कोई भी दुर्भाव नहीं लाना चाहिए।
— नमस्कार करते वक़्त ना ही शरीर को सख्त रखें और ना ही ढीला।
— नमस्कार करते वक्त गुस्सा कभी नहीं करना चाहिए।
— भगवान को नमस्कार करते वक्त सिर को हल्का झुकाते हुए आखों को बंद करें, फिर छाती के पास मिले हुए हाथों के पंजों के पास सिर के पास ले जाकर बाहर निकले अंगूठे से सटा दें। ऐसा करने से भगवान से मिली हुई शक्ति आपके शरीर और मस्तिष्क में तुरंत संचारित हो जाती है।
— लोगों को नमस्कार करते वक़्त उनकी आंखों में देखते हुए अपना सिर थोड़ा सा झुकाना है, ऐसा करने से सकारात्मक शक्ति का आदान—प्रदान होता है।
नमस्कार करते वक़्त क्या नहीं करना चाहिए
नमस्कार करते वक्त यदि पैरों में चप्पल अथवा जूते नहीं हो तो सर्वश्रेष्ठ है। भगवान को नमस्कार करते वक़्त पैर में जूते भूलकर भी नहीं होने चाहिए। पैर में जूते और चप्पल हो तो नमस्कार करने पर मिलने वाली चेतना और सही शक्ति नहीं मिल पाती है। नमस्कार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के नमस शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना।