इंटरनेट डेस्क। दोस्तों आपको बता दे की धर्म के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हर महीने हिंदू कैलेंडर में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तिथी मासिक कालाष्टमी के रूप में मनाई जाती है।

मासिक कालाष्टमी भगवान भैरव को समर्पित है मासिक कालाष्टमी को काला अष्टमी भी कहा जाता हैं दोस्तों आप भी नहीं जानते तो हम बता देते हैं क्या होता है अष्टमी से और कैसे व्रत और पूजन किया जाता है। आज हम दोस्तों आपको अष्टमी की व्रत की पूजा के नियम के बारे में बता रहे है। तो दोस्तों आप भी जान लीजिये।

दोस्तों आपको बता दे की भक्तो की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव काल भैरव के रूप में हमारी सहायता करते हैं और सभी परेशानियों से छुटकारा दिलाते है। इतना ही नहीं इस व्रत को करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत का फल इतना प्रभावी होता है कि आपको हर बुराई से दूर रखता है और आपके कामों में भी आपको सफलता मिलती है। इस व्रत के करने की भी विधि है जिसे आप कर सकते हैं।

शास्त्रों के अनुसार दोस्तों आपको बता दे की इस व्रत को करने की प्रथा है कि इस दिन प्रातः उठकर काल पवित्र नदी में स्नान कर पितरों का श्राद्ध व तर्पण करना चाहिए। काल भैरव भगवान शिव के रूप हैं और इसी को करने से भूत प्रेत जैसी शक्ति भी दूर होती है।

काल भैरव के साथ-साथ ही माँ दुर्गा की भी पूजा की जाती है। इस व्रत की पूजा को रात में किया जाता है और भक्त रात के समय जागरण भी करते हैं जिसमें माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं. इसके बाद आरती करके उसी दिन कुत्ते को भोजन करा दें।

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