पूर्णिमा का श्राद्ध कर्म भाद्र पद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को ही किया जाता है जो 10 सितंबर दिन शनिवार को ही है। इसलिए महालय का आरम्भ 10 सितंबर शनिवार से ही हो जाएगा। इस प्रकार 11 सितम्बर से शुरू हो रहे पितृ पक्ष, 25 सितंबर को समाप्त होंगे।

पितृ पक्ष शुरू होने वाला है। बहुत से लोग घर में श्राद्ध कर्म करते हैं। इसके लिए वह घर में पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज करना पसंद करते हैं। हिंदू कैलेंडर में कहा गया है कि श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण अमावस्या तक 16 दिनों तक चलता है। एक त्योहार है हम आपको बताने जा रहे हैं कि पितृ पक्ष के 16 दिनों के दौरान दिन के किस समय पितृ पूजा और ब्राह्मण भोज करना चाहिए।

Kutup Muhurta 2020- कुपत, रोहिणी और दोपहर में करते हैं श्राद्ध: विद्वानों का मानना ​​है कि श्राद्ध के 16 दिनों में कुपत, रोहिणी या दोपहर में श्राद्ध करना सर्वोत्तम है। इस कुपात काल को दिन का आठवां मुहूर्त माना जाता है। तिथि के अनुसार यह मुहूर्त हर दिन अलग-अलग समय पर पड़ता है। कुटप काल में किए गए दान का फल बहुत ही शुभ होता है।

माना जाता श्राद्ध से संबंधित सभी अनुष्ठान अंधकार काल के अंत से पहले पूरे कर लेने चाहिए। इसके साथ ही गजछाया योग में श्राद्ध कर्म करना भी बहुत शुभ होता है और बहुत फल देता है।

कैसे बनता है गजछाया योग - कहते हैं 'गजछाया योग' तब बनता है जब सूर्य हस्त नक्षत्र में होता है और त्रयोदशी के दिन माघ नक्षत्र बनता है।

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