वास्तुशास्‍त्र के अनुसार, यदि अध्ययन कक्ष सही दिशा में न हो, तो इससे बच्चे की पढ़ाई भी प्रभावित होती है। वह जितनी चाहे मेहनत कर ले, लेकिन वास्तुदोष के कारण उसे मेहनत के अनुरूप परिणाम नहीं मिल पाता। इसलिए बच्चे के पढ़ने के लिए अध्ययन कक्ष में दिशा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

Tip1- वास्तु नियमों के अनुसार, बच्चों के पढ़ने का कमरा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में इस प्रकार होना चाहिए कि पढ़ाई करते समय चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे।

Tip2- अध्ययन कक्ष में खिड़की या रोशनदान पूर्व-उत्तर या पश्चिम में होना श्रेष्ठ या दक्षिण में संभवतया नहीं रखें।

Tip3- अध्ययन कक्ष की रंग संयोजना सफेद, बादामी, फीका, आसमानी या हल्का फिरोजी रंग दीवारों पर और टेबल-फर्नीचर पर श्रेष्ठ है। काला, लाल, गहरा नीला रंग कमरे में नहीं होना चाहिए।

Tip4 - अध्ययन कक्ष में जूते-चप्पल, मोजे पहनकर प्रवेश नहीं करना चाहिए।

Tip5 - ड्रॉइंग रूम में पढ़ाई करते समय अपनी मेज, कुर्सी आदि उत्तर या उत्तर वायव्य कोण में ही रखनी चाहिए, जबकि रैक पश्चिम या दक्षिण दिशा में रखनी चाहिए। मेज पर टेबल लैंप रखते समय एक बात का हमेशा ध्यान रखे लैंप मेज के दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए।

Tip6 - अपने स्टडी टेबुल पर पूरब में माँ सरस्वती की तस्वीर रखें, हल्दी से एक स्वस्तिक बनाकर रखें। दीपक या अगरबत्ती जलाएं फिर पूरब की तरफ मुंह करके पूजा करके पढ़ाई शुरू करे, उत्तर की ओर मुंह करके भी पढ़ सकते हैं।

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