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अगर आपको कोई चोट नहीं लगी है उसके बाद भी शरीर पर नीले रंग के चोट के निशान पड़ रहे हैं तो आपको इन्हे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह कुछ महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है। यहाँ बताए गए कारणों को समझकर, आप इन निशानों के पड़ने का पता लगा सकते हैं और आवश्यक कदम उठा सकते हैं।

शरीर पर नील के निशान पड़ने के कारण

हीमोफोलिया
यह एक ब्लीडिंग डिसऑर्डर है जिसके कारण खून का थक्का पड़ने की प्रोसेस काफी स्लो हो जाती है। इसके कारण चोट के बिना भी नील के निशान पड़ सकते हैं। यह एक आनुवांशिक बीमारी है और इसके तहत खास ध्यान रखने की जरूरत होती है।


विटामिन सी और विटामिन के की कमी
विटामिन सी और विटामिन के की कमी से शरीर में ब्लड क्लॉट बनने लगते हैं। इन विटामिन की कमी से शरीर पर नील के निशान पड़ सकते हैं। विटामिन सी स्कर्वी जैसी बीमारियों को रोकता है, और विटामिन के ब्लीडिंग रोकने में सहायक होता है।

ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर)
ब्लड और बोन मेरो से जुड़े इस कैंसर के कारण बॉडी में ब्लड फ्लो ठीक से कंट्रोल नहीं हो पाता, जिससे जगह-जगह नील के निशान पड़ सकते हैं। यदि इन निशान के साथ आपको बुखार, कमजोरी और थकान भी हो रही है तो इसे नजरअंदाज ना करें।


खून पतला करने वाली दवाएं
खून पतला करने वाली दवाओं, जैसे कि एस्पिरिन, का लगातार सेवन ब्लीडिंग बढ़ा सकता है और नील के निशान को जन्म दे सकता है। इसलिए, जब तक चिकित्सीय सलाह न हो, इन दवाओं से बचना चाहिए।

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