आजकल घरों में तेज बुखार आने पर लोग तुरंत मार्केट में मिलने वाली दवा पेरोसाटिमोल ( Paracetamol ) का सेवन कर लेते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये आपको बुखार से राहत, तो दे सकती है, लेकिन कभी-कभी नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. ज्यादातर मामलों में लोग डॉक्टर से सलाह किए बिना इस दवा का सेवन करने की भूल करते हैं. बुखार आने पर बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है और उसे भूख न लगना, डिहाइड्रेशन जैसी हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती है। देखा गया है कि ज्यादातर पेरेंट्स बुखार से ग्रसित होने पर बच्चों को इसी दवा का सेवन करवाते हैं। माना जाता है कि बच्चे के शरीर का तापमान अगर 100 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो, तो पेरासिटामोल को देना सुरक्षित होता है. आज इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे ऐसी कुछ बातो के बारे में जिनका ध्यान आपको बच्चों को पेरोसाटिमोल दवाई देते समय रखना चाहिए। आइए जानते है विस्तार से -

* कई बार टीकाकरण के बाद शिशु को बुखार आने की समस्या हो जाती है. ऐसे में पेरेंट्स उसे पेरासिटामोल की डोज देते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे टीकाकरण की प्रभावशीलता कम हो जाती है।

* अगर आप ड्रोप या सिरप यानी ओरल ड्रग देने जा रहे हैं, तो इससे पहले ये जांच लें कि उस समय बच्चे के शरीर का तापमान कितना है. बच्चे की बॉडी का टेंपरेचर 100 से कम है, तो उसे दवा देने से परहेज करें।

* पेरासिटामोल का बच्चे को सेवन कराने से पहले डॉक्टर से सलाह कर लें कि कितनी मात्रा में से दवा दी जानी चाहिए. इंफेक्शन के कारण बुखार होने पर उसे ठीक होने में समय लगता है. ऐसे में डोज बढ़ाने से कोई फायदा नहीं होगा. कई बार पेरेंट्स डोज बढ़ाने की गलती करते हैं, जो बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।

* ऐसा भी होता है कि बच्चे को लगातार तीन दिन तक पेरासिटामोल देने के बाद भी उसका बुखार कम नहीं हो रहा होता. इस सिचुएशन में दवा की डोज बच्चे को देना बंद करें और उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

* पेरासिटामोल की खुराक को देते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे का वजन कितना है और उसी के अनुसार दवा दी जानी चाहिए. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बच्चे का वजन 5 किलोग्राम से कम है, तो उसे डॉक्टर से पूछे बिना दवा बिल्कुल न दें।

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