एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस भागदौड़ भरी जिदंगी में सेल्फ केयर के लिए हम सभी को एक्टिव हो जाना चाहिए. अधिकतर मामलों में 40 की उम्र के बाद बीमारियों का होना तय माना जाता है, जिसमें हाई बीपी का होना एक कॉमन बात है. उम्र के बढ़ने के साथ हेल्थ प्रॉब्लम से ग्रसित होना स्वाभाविक है, लेकिन ये समय से पहले आपको प्रभावित करने लगे, तो ये टेंशन की वजह हो सकती है. आजकल के युवाओं को 40 तो दूर 30 की उम्र में कई गंभीर बीमारियां हो रही हैं. इसके पीछे बिजी शेड्यूल, बिगड़ हुआ लाइफस्टाइल, ( Lifestyle ) स्ट्रेस, डिप्रेशन व अन्य कारण हो सकते हैं. हाई बीपी से ग्रसित लोगों के लिए मुश्किल की बात ये है कि उन्हें लंबे समय तक इस बीमारी का पता नहीं चलता है, जिससे हार्ट अटैक और किडनी फेलियर का खतरा बहुत बढ़ जाता है। आयुर्वेद में हाई बीपी को कंट्रोल करने के कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें से एक हर्ब्स यानी जड़ी-बूटियों का सेवन भी शामिल है। आइए इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे उन जड़ी-बूटियों के बारे में जिनका इस्तेमाल करके आप 40 की उम्र के बाद भी अपने बीपी को कंट्रोल में रख सकते हो। आइए जानते है इन जड़ी-बूटियोंके बारे में -

* तुलसी का करें इस्तेमाल :

प्राचीन समय से लोग इस पवित्र पौधे की पूजा और स्वस्थ रहने के लिए सेवन करते आ रहे हैं. भारत में हेल्थ और धार्मिक दृष्टि से तुलसी को बहुत अहम माना गया है. रोजाना खाली पेट तुलसी के पत्ते चबाएं या फिर इसकी बनी हुई चाय पिएं. औषधीय गुणों से पूर्ण तुलसी हाई बीपी वालों के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है. इसके पत्तों में यूजेनॉल नाम का यौगिक होता है, जो नेचुरल कैल्शियम चैनल अवरोधक के तौर पर काम करता है और हाई बीपी को कंट्रोल करता है।

* अश्वगंधा का करें सेवन :

आप इसे आसानी से डाइट में शामिल कर सकते हैं. इसके लिए अश्वगंधा पाउडल लें और इसे गर्म पानी में मिला लें. सुबह-सुबह अश्वगंधा के इस पानी का सेवन करें. ऐसा कुछ दिनों तक नियमित रूप से करें और आप फर्क देख पाएंगे. आप मानसिक रूप से ठीक रहेंगे, तो आपका बीपी भी कंट्रोल में रहेगा. अश्वगंधा का सेवन सही तरीके से किया जाए, तो इसका कोई नुकसान भी नहीं होता. आयुर्वेद में अश्वगंधा का विशेष महत्व बताया गया है. बिजी लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, डिप्रेशन का सामना करने वाले इस जड़ी-बूटी की मदद से मन और दिमाग दोनों को शांत कर सकते हैं।

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