OMG! ये है चांद पर पेशाब करने वाला पहला इंसान, किस्सा जानकर होगी हैरानी
आज तक बचपन में आपने मम्मी या दादी से चाँद की कहानियां तो सुनी ही होगी लेकिन चांद एक ऐसा ग्रह है जिसके बारे में जानने के लिए पूरी दुनिया बेहद आतुर रहती है। इसलिए समय समय पर चांद पर कई शोध हुए।
इस कड़ी में आज हम आपको चांद पर मानव मिशन से जुड़ी एक अनोखी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं।
जब भी कोई चांद पर किए गए मिशन का जिक्र करता है तो सबसे पहले हमारे दिमाग में अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग का नाम आता है। अपोलो 11 के मिशन पर गए नील आर्मस्ट्रॉन्ग, माइकल कॉलिन्स, और बज एल्ड्रिन ने 20 जुलाई 1969 को चांद की सतह पर लैंडिंग की थी।
अपोलो 11 मिशन पर गए नील आर्मस्ट्रांग ने अपना पहला कदम बाहर निकाला और इसी के साथ वह चांद पर पहुंचने वाले दुनिया के पहले इंसान बन गए। नील आर्मस्ट्रॉन्ग के बाद बज एल्ड्रिन ने भी चांद पर अपना कदम रखा।
वह चांद पर पहुंचने वाले दुनिया के पहले इंसान बन गए। नील आर्मस्ट्रॉन्ग के बाद बज एल्ड्रिन ने भी चांद पर अपना कदम रखा। भले ही बज एल्ड्रिन ने चांद पर सबसे पहले कदम रखने का रिकॉर्ड नहीं बनाया लेकिन वह पहले ऐसे इंसान बन गए जिसने चांद पर पेशाब किया।
ये तो जाहिर सी बात है एल्ड्रिन ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया था। एल्ड्रिन ने बताया ‘कमर से एक बैग बंधा हुआ होता है, और खुद को उस बैग से जोड़ना होता है। उसके लिए यूसीडी यानी यूरीन कलेक्शन डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं। अब, आप लंबे समय के लिए स्पेस में हैं। पेट में पेशाब इकट्ठी हो रही है, तो उसको हमें उसे खाली तो करना है, और हमारे पास हमारे सूट थे।
मैं सीढ़ी के नीचे उतरने गया और आपको इस नए वातावरण में अपनी मूवमेंट चैक करनी होती है। मैंने खिड़की से बाहर देखा और देखा कि नील [आर्मस्ट्रांग] 20 मिनट से सैंपल इकट्ठे कर रहा था। मैं सीढ़ी से नीचे गया और थोड़ी देर में ही मुझे पेशाब लग आई और मुझे पता था कि सब व्यवस्था को एक साथ जोड़ा है और कोई लीक नहीं होगा. तो मैंने…’
ये कह कर बज़़ हंसने लगे। बज़ ने चांद की सतह पर पेशाब नहीं की बल्की चांद की सतह पर खड़े होकर पेशाब की और इस तरह बज़ एल्ड्रिन चांद पर पेशाब करने वाले पहले इंसान बने।
लैंडिंग के बाद इस झटके की वजह से एल्ड्रिन ने जो यूरीन इकठ्ठा करके एक डिवाइस में रखी थी, वह टूट गई और यूरीन उनके एक बूट्स पर गिर गया। जब एल्ड्रिन चांद की सतह पर चले तो ये वहां भी फैलता गया।
दुर्भाग्य से एल्ड्रिन ने ल्यूनर मॉड्यूल की बहुत धीरे से लैंडिंग की जिससे मॉड्यूल जरूरत के हिसाब से सिकुड़ नहीं सका। नतीजा यह हुआ कि ल्यूनर मॉड्यूल से चांद की सतह तक जो एक छोटा कदम होता, वह एक छलांग में बदल गया।