यह कहानी महाभारत काल में बताई जाती हैं कि द्रौपदी के श्राप के कारण ही कुत्ते खुले में सहवास करते हैं। यह लोककथा बहुत ही प्रचलित हैं परंतु इसका प्रमाण किसी भी ग्रंथ में नहीं मिलता हैं।


आइये जानते हैं.... ये कहानी शुरू हुई थी महाभारत से, द्रौपदी पांच पांडवों की अकेली पत्नी थी। पांचों पांडव भाइयों ने निर्धारित किया था की द्रौपदी प्रत्येक वर्ष एक पांडव के पास रहेगी और उसी के साथ समय व्यतीत करेगी। जब वह किसी एक पांडव के साथ होगी तो कोई दूसरा भाई उस कमरे में प्रवेश नहीं करेगा। जब द्रौपदी एक पांडव के साथ कक्ष में होती थी तो वो पांडव कक्ष के बाहर अपनी पादुकाएं छोड़ देता था जिस से दूसरे को पता रहे कि एक पांडव अभी कक्ष में है।

लेकिन एक बार जब अर्जुन द्रौपदी के पास कक्ष में आया तो उसने भी अपनी पादुकाएं कक्ष के बाहर छोड़ दी ताकि दूसरे भाइयों को पता चल सके की कक्ष में प्रवेश नहीं करना है। तभी एक कुत्ता घूमता घूमता आया और कक्ष के बाहर रखी अर्जुन की पादुकाएं उठाकर पास के जंगल में ले गया और उनके साथ खेलने लगा।


इसी दौरान भीम द्रौपदी से मिलने कक्ष में पहुंचा और उसे कोई पादुकाएं नहीं दिखी तो भीम ने कक्ष में प्रवेश कर लिया ! कक्ष में अर्जुन और द्रौपदी प्रेमप्रसंग में लीन थे और भीम के अचानक अंदर आ जाने से द्रौपदी को काफी शर्मिंदगी महसूस हुई। तब अर्जुन ने भीम से पूछा कि जब मैं कमरे के बाहर मेरी पादुकाएं छोड़ कर आया हूँ तो तुमने भीतर क्यों प्रवेश किया?

तब भीम ने कहा कि बाहर पादुकाएं नहीं है। दोनों भाइयों ने बाहर आकर देखा तो सच में अर्जुन की पादुकाएं वहां से गायब थी। उन्होंने सोचा कि आखिर पादुकाएं यहाँ से कौन ले गया। तब वे उन्हें ढूंढते हुए जंगल में जा पहुंचे। जहाँ उन्होंने देखा कि एक कुत्ता अर्जुन की पादुकाओं के साथ खेल रहा था। ये देख द्रौपदी को क्रोध आया और उसने गुस्से में उस कुत्ते को श्राप दे दिया की जैसे मुझे आज सहवास करते हुए देखा है वैसे ही सारी दुनिया तुम्हे भी हमेशा सहवास करते देखेगी।

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