दोस्तों, इसमें कोई दो राय नहीं होती कि बेटियां अपने पापा के दिल के बिल्कुल करीब होती हैं। पापा के लिए उसकी बेटी परी के समान होती है। बेटियां अपने पापा के सिवाय मां की भी अच्छी दोस्त होती हैं। लेकिन लड़के इस मामले में थोड़ा कमजोर होते हैं, वह जल्दी अपने पापा से अटैच नहीं हो पाते हैं।

पापा को बना लेती हैं दोस्त
बेटियां जब भी जिंदगी की कशमकश में फंस जाती हैं, तब वह उनसे सलाह जरूर लेती हैं। उन्हें जब भी कोई जरूरी सलाह लेनी होती है, तब बेटियां अक्सर यह महसूस करती है कि यदि पापा होते तो वह उनसे पूछकर जरूर फैसला ले पाती।

पापा हैं सुपरहीरो
बेटियों को यह लगता है कि पापा उनका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। कॉलेज की फीस जमा करनी हो या कपड़े खरीदने हो, इस बात के लिए लड़कियां कभी चिंता नहीं करती हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि पापा उनकी यह समस्या तुरंत हल कर देंगे। अगर भाई से लड़ाई हो तो पापा हमेशा बेटियों का ही साथ देते हैं। इसलिए बेटियों की नजरों असली हीरो उनके पापा ही होते हैं।

विदाई के वक्त
दोस्तों, आपको बता दें कि बेटी चाहे अमीर खानदान की हो अथवा गरीब घर की। शादी के बाद विदाई के वक्त वह सबसे ज्यादा अपने पापा को ही याद करती है। इस दौरान वह मां से ज्यादा अपने पापा से ही लिपटकर रोती है।

जब मां नहीं सुने कोई बात
कई बार ऐसा होता है कि बेटियां मां से अपनी बात मनवाने के लिए पापा का सहारा लेती हैं। इसके अलावा किसी कामयाबी, पहली सैलरी की खुशी या फिर बर्थडे पर वह सबसे ज्यादा अपने पापा को ही मिस करती हैं।

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