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पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मण भोज कराने का विधान बताया गया है। हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक, श्राद्ध वाले दिन पितर लोग खुद ब्राह्मण वेष धारण कर भोजन ग्रहण करते हैं। इसलिए श्राद्धकर्म कराने वाले हर व्यक्ति को ब्राह्मण भोज अवश्य कराना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर पितर संबंधित व्यक्ति को श्राप देकर चले जाते हैं।

इस स्टोरी में हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि श्राद्धकर्म करने वाले संबंधित व्यक्ति को ब्राह्मण भोज के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।

- श्राद्ध तिथि पर सबसे पहले ब्राह्मणों को आमंत्रित करें।

- ब्राह्मण देवता को दक्षिण दिशा में ही ​​बैंठाएं, क्योंकि दक्षिण दिशा में ही पितर लोग वास करते हैं।

-हाथ में अक्षत, फूल, जल और तिल लेकर संकल्प कराएं।

- गाय, कुत्ते, चींटी तथा देवगण को भोजन अर्पित करने के बाद ही ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

-ब्राह्मण देवता को दोनों हाथों से ही भोजन परोसें, एक हाथ से परोसा भोजन पितर को नहीं मिलता है।

- बिना ब्राह्मण भोज के पितर श्राप देकर अपने लोक को लौट जाते हैं।

- भोजन कराने के बाद ब्राह्मणों को कपड़े, अनाज और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।

- इतना ही नहीं ब्राह्मण भोज के पश्चात उन्हें उनके द्वार तक छोड़ें।

- ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि ब्राह्मणों के साथ पितर भी अपने लोक को चले जाते हैं।

- ब्राह्मण भोज के बाद खुद तथा अपने रिश्तेदारों को भी भोजन जरूर कराएं।

- पितृ पक्ष में अगर कोई भिक्षा मांगे तो उसे आदर के साथ भोजन कराएं।

- कुत्ते और कौए का भोजन, कुत्ते और कौए को ही खिलाएं।

- दामाद, भांजे और बहन को भोजन कराए बिना पितर भी भोजन नहीं करते हैं।

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