अगर आप धोखेबाजों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कई नई ऑनलाइन तरकीबों से अवगत नहीं हैं तो आपके बैंक खाते में लाखों रुपये कुछ ही सेकेंड्स में जीरो में बदल सकते हैं। आरबीआई के मुताबिक धोखेबाज जनता को ठगने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।

आरबीआई का कहना है कि ग्राहकों द्वारा जाने या अनजाने में गोपनीय जानकारी साझा करना वित्तीय धोखाधड़ी के प्रमुख कारणों में से एक है। इसलिए ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते समय आपको सतर्क रहना चाहिए।


आरबीआई ने हाल ही में धोखेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सामान्य तौर-तरीकों पर एक पुस्तिका जारी की। जबकि आप इनमें से कुछ तरकीबों के बारे में पहले से ही जानते होंगे, यहाँ आरबीआई के अनुसार धोखेबाजों द्वारा उपयोग की जाने वाली कुछ कम ज्ञात लेकिन हाई-फाई विधियों पर आप नजर डाल सकते हैं।

ऑनलाइन बिक्री प्लेटफॉर्म का उपयोग कर धोखाधड़ी: जालसाज ऑनलाइन बिक्री प्लेटफॉर्म पर खरीदार होने का दिखावा करते हैं और विक्रेता के उत्पाद मेंरुचि दिखाते हैं। कई धोखेबाज विश्वास हासिल करने के लिए दूरदराज के स्थानों में तैनात रक्षाकर्मी होने का दिखावा करते हैं। विक्रेता को पैसे देने के बजाय, वे यूपीआई ऐप के माध्यम से “request money” विकल्प का उपयोग करते हैं और जोर देते हैं कि विक्रेता यूपीआई पिन दर्ज करके रिक्वेस्ट को स्वीकार करें। एक बार जब विक्रेता पिन दर्ज करता है, तो धोखेबाज के खाते में पैसा ट्रांसफर हो जाता है।


स्क्रीन शेयरिंग ऐप/रिमोट एक्सेस का उपयोग कर धोखाधड़ी: धोखाधड़ी करने वाले ग्राहक को स्क्रीन शेयरिंग ऐप डाउनलोड करने के लिए बरगलाते हैं। ऐसे ऐप का उपयोग करके, जालसाज ग्राहक के मोबाइल/लैपटॉप को देख/कंट्रोल कर सकते हैं और ग्राहक की वित्तीय साख तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं। जालसाज इस जानकारी का उपयोग अनधिकृत रूप से मनी ट्रांसफर करने या ग्राहक के इंटरनेट बैंकिंग / भुगतान ऐप का उपयोग करके भुगतान करने के लिए करते हैं।

सर्च इंजन के माध्यम से परिणामों पर साख से समझौता करके धोखाधड़ी: ग्राहक अपने बैंक, बीमा कंपनी, आधार अपडेट सेंटर आदि के संपर्क विवरण / कस्टमर केयर नंबर प्राप्त करने के लिए सर्च इंजन का उपयोग करते हैं। सर्च इंजन पर ये कांटेक्ट डिटेल्स अक्सर संबंधित इकाई से संबंधित नहीं होते हैं जबकि ये धोखेबाजों के अपने कॉन्टैक्ट्स होते हैं। ग्राहक सर्च इंजन पर बैंक/कंपनी के कॉन्टैक्ट्स नंबरों के रूप में प्रदर्शित धोखेबाजों के अज्ञात/असत्यापित कांटेक्ट नंबर्स से कांटेक्ट कर लेते हैं। एक बार जब ग्राहक इन संपर्क नंबरों पर कॉल करते हैं, तो धोखेबाज ग्राहकों से सत्यापन के लिए अपने कार्ड क्रेडेंशियल / विवरण साझा करने के लिए कहते हैं। धोखेबाज को आरई का वास्तविक प्रतिनिधि मानते हुए, ग्राहक अपने सुरक्षित विवरण साझा करते हैं और इस तरह धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं।

क्यूआर कोड स्कैन के माध्यम से घोटाला: जालसाज अक्सर विभिन्न बहाने ग्राहकों से संपर्क करते हैं और ग्राहकों के फोन पर ऐप का उपयोग करके त्वरित प्रतिक्रिया (क्यूआर) कोड स्कैन करने के लिए उन्हें धोखा देते हैं। ऐसे क्यूआर कोड को स्कैन करके ग्राहक अनजाने में धोखेबाजों को अपने खाते से पैसे निकालने के लिए एक्सेस दे सकते हैं।

जूस जैकिंग: मोबाइल का चार्जिंग पोर्ट, फाइल/डेटा ट्रांसफर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जालसाज सार्वजनिक चार्जिंग पोर्ट का उपयोग वहां से जुड़े ग्राहक फोन में मालवेयर ट्रांसफर करने के लिए करते हैं और ग्राहकों के मोबाइल फोन (जूस जैकिंग) से डेटा संवेदनशील डेटा जैसे ईमेल, एसएमएस, सेव किए गए पासवर्ड आदि को नियंत्रित / एक्सेस / चोरी करते हैं।

Related News