Ayush Ministry: क्या लंबे समय तक शराब का सेवन शरीर को नुकसान पहुंचाता है? आयुष मंत्रालय ने जवाब दिया
यह लंबे समय से सुना और पढ़ा जाता है कि अगर लंबे समय तक उबाला जाता है, तो शरीर को नुकसान होता है। विशेष रूप से यह लीवर को नुकसान पहुंचाता है। इस तरह की तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए आयुष मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि उबले हुए पानी का सेवन करने से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है। मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, उबला हुआ पानी पीने से शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है। इसका सेवन जीवन पर्यन्त किया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति जिगर की क्षति से पीड़ित है या जिगर की समस्याओं से पीड़ित है, तो यह काढ़ा तैयार करने के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री की मात्रा पर निर्भर करता है। आयुष मंत्रालय ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उबला हुआ दूध, हल्दी दूध, तुलसी चाय, अदरक, शहद, लौंग, काली मिर्च और दालचीनी पीने का सुझाव दिया है। आयुर्वेद के अनुसार, ये सभी मसाले आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के रूप में काम करते हैं और शरीर को जीवन के लिए स्वस्थ रखने की क्षमता रखते हैं। ये सभी जड़ी-बूटियाँ एक स्वस्थ शरीर के लिए प्रकृति द्वारा दी गई अमूल्य धरोहर हैं।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने मंगलवार 6 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि उबले हुए पानी के सेवन से लीवर को कोई नुकसान होने का कोई सबूत नहीं है। डॉ राजेश कोटेचा ने आगे कहा कि आयुष मंत्रालय ने तुलसी, काली मिर्च, दालचीनी, अदरक और किशमिश का उपयोग करके काढ़ा तैयार करने की सलाह दी थी।
साथ ही, दिन में दो बार उबली हुई चाय लेने की सलाह दी गई ताकि शरीर स्वस्थ रहे और कोरोना वायरस आपको पकड़ न सके। यदि कोई व्यक्ति इस विधि को ध्यान में रखते हुए काढ़े का सेवन करता है, तो उसे लीवर की कोई समस्या नहीं हो सकती है। क्योंकि ये सभी प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ हैं और भारतीय समाज में इन सभी मसालों का उपयोग खाना बनाते समय नियमित रूप से किया जाता है। ऐसा सदियों से चला आ रहा है। कोटेचा आगे कहते हैं कि कोविद -19 पर उबलने के वास्तविक प्रभाव का पता लगाने के लिए शोध कार्य चल रहा है।
आयुष मंत्रालय का कहना है कि काढ़ा बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी मसाले और जड़ी-बूटियां आपके शरीर को मजबूत बनाने के साथ-साथ श्वसन तंत्र के संक्रमण को भी मुक्त रखने में मदद करती हैं। आपको बता दें कि कोरोना का पहला हमला एक व्यक्ति की श्वसन प्रणाली पर होता है। इसके लिए कोरोना सीधे फेफड़ों पर हमला करता है। फेफड़े मानव श्वसन प्रणाली का पावर हाउस हैं। यदि यह संक्रमण होता है, तो सांस की समस्याओं के कारण रोगी की स्थिति खराब हो जाती है।