अस्थमा श्वसन तंत्र और फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. इसमें कई बार मरीज को अगर सही समय पर इलाज नहीं मिला तो उसकी जान भी जा सकती है। बता दे की, अस्थमा लंबे समय तक चलने वाली सूजन की बीमारी है, जो फेफड़ों के वायुमार्ग को प्रभावित करती है। इसमें व्यक्ति को खांसी, सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट और सीने में जकड़न जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसे स्थायी रूप से ठीक करना संभव नहीं है, लेकिन कुछ उपायों को अपनाकर आप अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर होने से रोक सकते हैं।

अस्थमा क्या है - बता दे की, अस्थमा होने पर श्वसन तंत्र में सूजन या सूजन हो जाती है, जिससे श्वसन पथ के मार्ग सिकुड़ जाते हैं। जिसके अलावा श्वसन पथ के पास की चिकनी मांसपेशियां भी संकरी हो जाती हैं। जब संकीर्णता या सिकुड़न सीमा से अधिक हो जाती है, तो अस्थमा के लक्षण सीटी की तरह बजने लगते हैं। जब भी हवा संकरे रास्ते से गुजरती है तो सीटी जैसी आवाज आती है।

पराग या पराग, कवक, पालतू रूसी आदि के कारण एलर्जी हो सकती है। एरोएलर्जेन एक बहुत ही सामान्य कारण है, जिसके वजन से अस्थमा के लक्षण या ट्रिगर हो सकते हैं। जिसके अलावा प्रदूषण और वायरल संक्रमण के कारण अस्थमा के लक्षण देखे जा सकते हैं। श्वसन पथ में कई बार सूजन आ जाती है, जिसे पोस्ट-वायरल ब्रोंकाइटिस कहा जाता है। जी हां और इससे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के लक्षण बढ़ सकते हैं।

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