वीर योद्धा अश्वत्थामा के बारे में हम सभी जानते हैं। उनकी वीरता के बारे में हमें आपको बताने की जरूरत नहीं है। अश्वत्थामा कौरवों के गुरू द्रोणाचार्य के बेटे थे। अश्वत्थामा के लिए द्रोणाचार्य ने शिव का कठिन तप और तपस्या में की थी तब उन्हें अश्वथामा की प्राप्ति एक पुत्र के रूप में हुई। अश्वत्थामा के माथे पर एक चमत्कारिक मणि भी थी जिसके कारण उसे कभी भूख प्यास भी नहीं लगती थी। युद्ध में यह महारथी कौरवों की ओर से लड़े थे और कर्ण के बाद अश्वत्थामा ने ही सबसे अधिक लोगों का वध किया था।

अश्वत्थामा के बारे में अक्सर ही कहा जाता है कि वो आज भी जिंदा हैं। अश्वथामा आज भी पृथ्वी पर कृष्ण के श्राप के कारण भटक रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ लोग दावा भी कर चुके हैं।

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इसलिए दिया था कृष्ण ने श्राप

पांडवों द्वारा धोखे से पिता द्रोणाचर्य की मृत्यु के बाद अश्वत्थामा क्रोध से भर गए थे। उन्होंने पांडवों के कई योद्धाओं को मार दिया लेकिन फिर भी इसमें हार कौरवों की हार हुई। दुर्योधन की हार के बाद अश्वत्थामा ने कौरवों के राजा से पांडवों को मारने का वादा किया। वे रात के अँधेरे में उस जगह गए जहाँ पांडव जहाँ सो रहे थे, पांडव वहां नहीं मिले तो उसने पांडव के पुत्रो का वध कर दिया।

इसके बाद पांडव क्रोध से भर उठे और अर्जुन और अश्वथामा का आमना सामना हुआ तो दोनों ने एक-दूसरे पर ब्रह्मास्त्र से वार किया। वे दोनों जब एक दूसरे पर अस्त्र शास्त्र का प्रयोग करते तो ये विनाशकारी साबित होती इसलिए ऋषियों ने उन्हें उनसे अस्त्र वापस मांगे। अर्जुन अपना अस्त्र वापस ले सकते थे। मगर अश्वत्थामा ऐसा नहीं कर सकते थे, लेकिन वे किसी और पर अपने अस्त्र का लक्ष्य केंद्रित कर सकते थे। बदले की भावना से ग्रसित अश्वत्थामा ने इस विध्वंसक अस्त्र का निशाना अर्जुन की बहू व अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी के गर्भ पर लगाया। इस से उनके बेटे की मौत हो गई।

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अश्वत्थामा के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर कृष्ण ने उन्हें श्राप दिया कि वो 3000 सालों तक कोढ़ से पीड़ित होकर जंगलों में घूमते रहेंगे। इन घावों का कोई इलाज भी नहीं होगा और तब से अश्वथामा इसी पृथ्वी पर घूम रहे हैं।

लोगों ने किए हैं ये दावे

डॉक्टर ने किया इलाज

मध्यप्रदेश के एक डॉक्टर का कहना था कि उनके पास एक ऐसा पेशेंट आया था, उसके माथे पर एक काला निशान था और उसके पूरे शरीर पर बहुत से घाव थे। डॉक्टर को उसके घाव ताजा लग रहे थे और ऐसा भी लग रहा था कि इनका कोई इलाज ही ना हो। डॉक्टर ने उनपर मलहम पट्टी की लेकिन कोई असर नहीं हुआ। उसके घावों से लगतार खून बह रहा था। डॉक्टर ने उससे पूछा भी कि, “क्या तुम अश्वत्थामा हो?” और जब डॉक्टर अगला डोज़ लगाने के लिए मुड़ा तो वो मरीज गायब हो चुका था।

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योगियों ने किया ये दावा

पायलट बाबा समेत कई योगियों ने ये भी दावा किया है कि अश्वत्थामा हिमायल की तलहटी में कुछ जनजातियों के साथ रहते हैं। वो हर सुबह एक शिवलिंग पर जल भी चढ़ाते हैं।

नर्मदा पर भटकते अश्वत्थामा

लोगों का तो यह भी दावा है कि नर्मदा के तटों में रात के समय अश्वत्थामा घूमते हैं और लोगों को राह भी दिखाते हैं।

इसके अलावा गुजरात, ग्वारीघाट, महाराष्ट्र व मंडला के जंगल, असीरगढ़ का किला जैसी कई जगहों पर अश्वत्थामा की मौजूदगी का दावा किया जाता है।

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