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किसी चीज को सिद्ध करने का अर्थ उस वस्तु या चीज में चमत्कारी गुणों को उत्पन करना होता है.
सिद्धि प्राप्त करना कोई आसान काम नहीं होता. सिद्धि प्राप्त करने के तरीके काफी मुश्किल होते है. उसके लिए कठोर तप बड़ी सावधानी से किये जाते है. इस कार्य में परिश्रम के साथ तन मन सब तपता है और एक समय के बाद सब सही होने पर सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है.
एक बार सिद्धि प्राप्त होने के बाद बताये निर्देश का पालन करने से वह सिद्धि दिनोदिन लगतार और बढती जाती है और बलवान होती जाती.
लेकिन यह सिद्धि असानी से नहीं मिलती. इसके लिए जिस दर्द से गुजरना पड़ता है, जो त्याग और बलिदान करना पड़ता है, वह किसी साधारण इंसान के द्वारा कर पाना मुश्किल होता है.
तो आइये जानते है सिद्धि प्राप्त करने के तरीके क्या क्या है.
1. मंत्र सिद्धि
भारतीय समाज में मंत्र सिद्धि का विशेष महत्व रहा है. इसलिए हमारे पूर्वज अपने अधिकतर सिद्धि प्राप्ति के लिए मंत्रो का उच्चारण करते थे और सिद्धि प्राप्त कर लेते थे. मंत्र अनेक शक्तिशाली शब्दों का एक सार होता है, जिसमे कम शब्दों में अधिक भावो का संग्रह होता है. मंत्र शक्ति का विशेष प्रभाव होता है. इसलिए आज भी सिद्धि प्राप्त करने के लिए सबसे ज्यादा इस पद्धति का उपयोग होता है. इस सिद्धि का सबसे ज्यादा उपयोग संस्कृत के ज्ञाता, ब्राम्हण और उच्चकोटि के शिक्षित लोग करते थे. मन्त्र संस्कृत में होने से इसका भाव और अर्थ लोगो को समझ नहीं आता इसलिए उच्चारण में गलती होने से उसके अर्थ बदल जाते है और उससे सही फल नहीं मिलता या सिद्धि प्राप्त नहीं हो पाती. मंत्र सिद्धि अभी विलुप्त होती जा रही है.
2. योग सिद्धि
मंत्र के बाद दूर स्थान योग का है. हमारे प्राचीन ऋषि मुनि और देव इस सिद्धि का उपयोग करके अपनी सिद्धि प्राप्त कर अपने अंदर चमत्कारिक गुणों का संचार करते थे. भारत में योग सिद्धि के कई प्रमाण है. इस योग सिद्धि के कारण ही प्राचीन समय के लोग 200 – 300 साल जीते थे. गायब हो जाते थे. पानी से श्राप देते थे और भी अनेक चीजे इसी सिद्धि से प्राप्त करते थे और इसलिए ज्यादातर समय योग में बिताते थे.
3. ज्ञान सिद्धि
योग के बाद तीसरा आता है ज्ञान सिद्धि. यह एक विशेष प्रकार की सिद्धि होती है, जिसमे चीजों के सही ज्ञान और जानकारी से चीजो को सिद्ध करते थे. इस तरह की सिद्धि अकसर राजाओं को प्राप्त होती थी क्योकि राजा का कार्य बहुत ज्यादा होता था. इसलिए वो ना तो वे ब्राह्मण की तरह मंत्र जाप कर सके थे और ना ऋषि मुनियों की भांति योग करके सिद्धि प्राप्त कर पाते थे. इसलिए राजाओं को उनके गुरुओं द्वारा शिक्षा में ज्ञान सिद्धि दी जाती थी. जिसकी जानकारी और अभ्यास कर बड़े होते थे और यह ज्ञान सिद्धि युद्ध और द्वन्द के मैदान में उपयोग की जाती थी. तीर को अग्नि बाण, राम बाण , ब्रम्ह बाण, और अनेक चीजे जो चमत्कार करती है, वो ज्ञान सिद्धि का ही रूप है.
4. वरदान सिद्धि
चौथा सिद्धि है, वरदान सिद्धि! यह एक ऐसी सिद्धि होती है, जो प्रसन्नता पूर्वक, उपहार स्वरुप या उपकार के बदले दी जाती है. इस प्रकार की सिद्धि प्राचीन समय में बहुत ज्यादा प्रचलन में थी. गुरुसेवा, जनसेवा, या किसी ऋषि की मदद, उपकार और ऋण के बदले तेजस्वी इंसान जो पहले से सिद्धि प्राप्त होता है. वह इस तरह की सिद्धि वरदान में सामने वाले को देता था जिसके कारण सामान्य इंसान में चमत्कारिक गुण आ जाते थे. इस तरह की सिद्धि प्राचीन कहानी में सुनने को मिलती थी.
5. काला जादू
काले जादू की सिद्धि निम्न तरह की सिद्धि समझी जाती है, क्योकि यह सिद्धि हमेशा किसी को नुक्सान पहुंचाकर या बलि देकर प्राप्त की जाती है. इस तरह की सिद्धि को समाज में अच्छी दृष्टी से नहीं देखा जाता है. इस तरह की सिद्धि तांत्रिक. अघोरी, टोनही जैसे लोग करते हैं. इस तरह की सिद्धि से समाज के लोगो को नुकसान और क्षति पहुँचती है. यह निजी स्वार्थ मेके लिए हांसिल की गई सिद्धि होती है. पहले के ज़माने में इन सिद्धि प्राप्त करने के तरीके को अपनाया जाता था और अपने साथ आसपास की चीजों में भी चमत्कार उत्पन्न किया जाता था.