जो इंसान करता है ऐसे कर्म, उसे कभी नहीं मिलता संतान सुख
भगवान शिव शंकर को ग्रहस्थ देव माना गया है। भगवान शिव का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। आज हम आपको शिव पार्वती से जुड़े एक किस्से के बारे में और ये बताने जा रहे हैं कि किस तरह के मनुष्य को जीवन में संतान सुख नहीं मिलता है।
एक बार कैलाश पर शिव शंकर और माता पार्वती के मध्य सत्संग चल रहा था। माँ पार्वती ने उत्सुकतापूर्वक शिव जी से प्रश्न किया कि हे महादेव ऐसे कौन से कार्य है जिनसे चलते मनुष्य संतान सुख नही भोग पाता।
यह सुनकर शिव जी मुस्कुराये उन्होंने पार्वती माता को बताया कि जो मनुष्य कर्म करता है उनका लेखा जोखा उसे इसी जन्म में भोगना पड़ता है। किन्तु जो मनुष्य हिरण, गौ माता या पक्षियों के बच्चों को भी मार देते है फिर उन्हें खा जाते है। ऐसे मनुष्य पापी होते हैं और उन्हें इसकी सजा भी मिलती है। क्योंकि वे उन बच्चो को उनके माता पिता से अलग कर देते है। इसलिए उन्हें इस जन्म में यातना भोगने के साथ मर्त्यु के बाद भी अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है।
शिव जी ने आगे कहा इतना सहने के बाद भी जब वे मनुष्य रूप में जन्म लेते है तो उन्हें संतान सुख से वंचित रह जाते है। वे जिंदगी भर संतान की चाह में तड़पते रहते हैं और संतान की चाह में ही अपनी पूरी जिंदगी काट कर मर्त्यु को प्राप्त कर लेते हैं लेकिन तब भी उन्हें कोई संतान सुख नहीं मिलता।