उज्जैन भगवान शिव का प्रिय स्थान है। वैसे अभी सावन का माह आने वाला है, यह महीना हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है, इसलिए शास्त्रों में इस माह को धर्म-कर्म का माह कहा गया है। सावन माह में बाबा महाकाल की आराधना का अलग ही महत्व है। क्षिप्रा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है उज्जैन के राजा महाकालेश्वर का भव्य और ऐतिहासिक मंदिर। महाकालेश्वर, देवों के देव महादेव के बारह ज्योतिर्लिंगो में से एक है और सबसे खास भी है।

महाकालेश्वर देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में इकलौता दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग हैं। उज्जैन के राजा महाकाल जितने खास है उतनी ही खास है उन्हे पूजने की परंपरा, महाकाल की तड़के सुबह की पूजा तांत्रिक परंपरा से की जाती है।

कहा जाता है,कि उज्जैन में विश्व का एकलौता शिवलिंग है, जहां भस्मआरती की जाती है। इस पूजा के समय बगैर सिले वस्त्र में ही पूजन कार्य किया जाता है। पुरुष रेशमी धोती व महिलाएं साड़ी पहनकर गर्भगृह में जाती हैं। कहते है जब तक चिता की ताज़ी राख से महाकाल की भस्म आरती नहीं होती, तब तक महाकाल खुश नहीं होते हैं।

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