शबरी की कथा: श्रीराम की कृपा से हुआ था इनका उद्धार
रामायण में आपने शबरी का का जिक्र तो सुना होगा। शबरी श्री राम की अनन्य भक्त थी। शबरी मतंग ऋषि के आश्रम में रहती थी। शबरी अपने व्यवहार और कार्य−कुशलता से सभी आश्रमवासियों की प्रिय बन गई। मतंग ऋषि ने अपनी देह त्याग के समय उसे बताया कि भगवान राम एक दिन उसकी कुटिया में आएंगे। वह उनकी प्रतिक्षा करे।
दिन बीतते रहे शबरी रोज सारे मार्ग और कुटिया की सफाई करती और प्रभु राम की प्रतीक्षा करती। ऐसे करते करते वह बूढी हो चली, पर प्रतिक्षा करना नही छोडी क्यूंकि गुरु के वचन जो थे। शबरी ने सारा जीवन श्री राम की प्रतीक्षा में निकल दिया।
अंत मे शबरी की प्रतिक्षा खत्म हुई और भगवान श्रीराम अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ माता सीता की खोज करते हु्ए मतंग ऋषि के आश्रम में जा पहुंचे। शबरी ने उन्हें पहचान लिया। उसने प्रभु श्री रामचन्द्र जी का स्वागत जगली फल बेर के साथ किया। बेर ख़राब और खट्टे न निकलें, इस बात का उसे भय था, इसलिए उसने बेरों को चखना आरंभ कर दिया।
श्रीराम उसकी भक्ति पर मुग्ध होकर बड़े प्रेम से जूठे बेर खाए। शबरी के झूठे बेर श्रीराम को खाते देख लक्ष्मण को बहुत आश्चर्य हुआ। श्रीराम की कृपा से शबरी का उसी समय उद्धार हो गया ।