हिंदू धर्म में भगवान शिव को अनेक नामों से पुकारा जाता है, जैसे- शिव, शंकर, भोलेनाथ, नीलकंठ, कैलाशपति, दीनानाथ आदि। पौराणिक ग्रंथों में भगवान शिव के हर नाम के पीछे किसी न किसी घटना का उल्लेख मिलता है।

हिन्दू धर्मशास्त्रों में सिर्फ शिव जी को ही महादेव नाम से पुकारा जाता है। किसी अन्य देवता को इस नाम की संज्ञा नहीं दी गई है। इसलिए इस स्टोरी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि भोलेनाथ को महादेव कहने के पीछे असली वजह क्या है?

इसका जवाब शिव पुराण में मिलता है। शिव पुराण के मुताबिक शिव ही आदि और अनंत हैं। इस सृष्टि के निर्माण से पहले भी शिव जी हैं और इस सृष्टि के ख़त्म हो जाने के बाद भी वे ही रहेंगे। मतलब साफ है, इस सृष्टि पर जो भी है वो शिव ही हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश ये तीन मुख्य देवता है। इन्हें ही त्रिदेव कहा जाता है।

शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव से ही भगवान विष्णु की उत्पत्ति हुई है और भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए है। भोलेनाथ के आदेश पर ही ब्रह्मा जी ने इस सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण किया है और भगवान विष्णु इस ब्रह्मांड का पालन-पोषण करते आए हैं। पौराणिक ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव ही महाशक्तिशाली हैं और संपूर्ण ब्रह्मांड उन्ही के इशारे मात्र से चल रहा है।

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