गणगौर पर्व खासतौर पर राजस्थान में मनाया जाता है। इस पर्व की मुख्य पूजा चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही की जाती है। यह पर्व विशेष रूप से महिलाएं मनाती हैं। इस बार यह त्योहार 8 अप्रैल 2019 यानी सोमवार के दिन मनाया जा रहा है। गणगौर की पूजा कुंवारी महिलाओं से लेकर विवाहित स्त्रियों तक हर कोई कर सकता है।

कुंवारी लड़कियां यह व्रत अच्छा वर पाने के लिए करती हैं तो वहीं विवाहित स्त्रियां ये व्रत अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं. विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार कर सोलह दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं.

16 दिनों तक चलने वाली गणगौर पूजा होलिका दहन के बाद वाले दिन से शुरू होती है। सबसे पहले चौकी लगाकर, उस पर स्वास्तिक बनाकर पानी से भरा कलश रखा जाता है। इसके बाद उस पर नारियल और पान के पांच पत्ते रखे जाते हैं।

इसके बाद होली की राख से सोलह छोटी-छोटी पिंडी बनाकर पूजा करते है। कहते है गणगौर की पूजा में होलिका दहन के राख का बहुत महत्व है। गणगौर के आखिरी दिन तक इनकी विधि विधान से पूजा कर गणगौर भगवान को विसर्जित कर दिया जाता है और गणगौर का उद्यापन किया जाता है.

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